Tuesday , 26 September 2023

सरकार ने 1,200 डॉलर प्रति टन कीमत से कम के बासमती चावल के निर्यात पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 27 अगस्त . गैर-बासमती चावल के संभावित “अवैध” शिपमेंट को रोकने के लिए सरकार ने 1,200 डॉलर प्रति टन कीमत से कम के बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने ट्रेड प्रमोशन बॉडी एपीडा को 1,200 डॉलर प्रति टन से कम के अनुबंध पंजीकृत नहीं करने का निर्देश दिया है.

1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के मौजूदा अनुबंधों को स्थगित रखा गया है. भविष्य की कार्रवाई का मूल्यांकन करने के लिए एपीडा के अध्यक्षता के तहत एक समिति गठित की जाएगी.

भारत ने इस साल 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.

बयान में कहा गया है, “सरकार को गैर-बासमती चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में विश्‍वसनीय क्षेत्रीय रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसके निर्यात पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह बताया गया है कि गैर-बासमती चावल को बासमती चावल के एचएस कोड के तहत निर्यात किया जा रहा है.

चूंकि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) बासमती चावल के निर्यात के विनियमन के लिए जिम्मेदार है और इस उद्देश्य के लिए पहले से ही एक वेब-आधारित प्रणाली मौजूद है.सरकार ने बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शुरू करने के लिए एपीडा को निर्देश जारी किए हैं.

इसमें कहा गया है, “केवल 1,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन और उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात को ही मंजूूूरी है.”

कहा गया है ,”1,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य वाले अनुबंधों को स्थगित रखा जा सकता है और कीमतों में भिन्नता को समझने और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए इस मार्ग के उपयोग के लिए एपीडा के अध्यक्ष द्वारा गठित एक समिति द्वारा मूल्यांकन किया जा सकता है.”

इसमें यह भी कहा गया है कि चालू माह के दौरान निर्यात किए जाने वाले बासमती के औसत निर्यात मूल्य 1214 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की पृष्ठभूमि में सबसे कम अनुबंध मूल्य 359 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के साथ निर्यात किए जाने वाले बासमती के अनुबंध मूल्य में बड़ा अंतर हुआ है.

आगे कहा गया है कि समिति एक महीने की अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे, जिसके बाद उद्योग द्वारा योजनाबद्ध बासमती के कम कीमत के निर्यात पर उचित निर्णय लिया जा सकेगा.

बयान में कहा गया है कि एपीडा को इस मामले के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापार जगत के साथ परामर्श करना चाहिए.

एमकेएस/एसजीके

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