हिमाचल की वित्तीय संकट की स्थिति पर राज्यपाल दखल दे : जयराम ठाकुर

शिमला, 3 सितंबर . हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट की स्थिति हो गई है. सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर अब आफत आ गई है. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रांत महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने प्रदेश के आर्थिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि यह दिन कर्मचारियों के लिए काला दिन है, जब पूरे महीने काम करने के बाद भी उन्हें सैलरी नहीं मिली.

उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्या हो गया कि प्रदेश के कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं मिली और तथाकथित कर्मचारी नेता मुंह पर पट्टी बांधकर बिल में छिपे हुए हैं. सितंबर महीने की तीन तारीख होने के बाद भी कर्मचारियों की सैलरी नहीं आई है, हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. विपक्ष ने इस पूरे मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कहा कि हिमाचल वित्तीय आपातकाल, खटाखट गारंटियों ने किया कंगाल और राज्यों के लिए भी हिमाचल से मिला सबक, सत्ता के लिए झूठी गारंटियां दे रही कांग्रेस.

हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिससे पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. हिमाचल के मुख्यमंत्री ने पहले विधानसभा में वित्तीय संकट की बात कही और खुद, मंत्रियों, सीपीएस और विधायकों की सैलरी 2 महीने के लिए टालने का फैसला किया, लेकिन अब वे कह रहे हैं कि प्रदेश में कोई वित्तीय संकट नहीं है. लेकिन, हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 3 तारीख तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है. विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में राहुल गांधी की खोखली गारंटियों की पोल खुल गई है, जिससे अन्य राज्यों को भी सबक लेना चाहिए.

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश में 3 तारीख बीत जाने के बावजूद कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनरों को पेंशन नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की बातें विरोधाभासी हैं, कभी वे आर्थिक संकट होने की बात कहते हैं और कभी कहते हैं कि संकट नहीं है. अगर संकट नहीं है तो सैलरी क्यों नहीं मिली? विपक्ष ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की स्थिति बन गई है और विपक्ष इसके लिए चिंतित है. गारंटियों को पूरा करने के चक्कर में अब कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं मिल रही है, जो हिमाचल के भविष्य के लिए ठीक नहीं है. विपक्षी विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर दखल की मांग की है. भाजपा ने कहा कि वे कांग्रेस की खोखली गारंटियों का चुनावी राज्यों में भी पर्दाफाश करेंगे.

कर्मचारी संघ के नेताओं का कहना है कि सैलरी कब मिलेगी, इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है और न ही सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक जानकारी दी है. कर्मचारियों को अब उधार लेकर घर का खर्च चलाना पड़ रहा है. बिजली, पानी, राशन जैसे बिलों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. ईएमआई पर भी असर हो रहा है, बैंक से फोन आ रहे हैं और कुछ को पेनल्टी भी लग गई है. जो कर्मचारी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उनके तबादले किए जा रहे हैं.

पीएसके/जीकेटी