ग्रेटर नोएडा, 15 नवंबर . केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का लक्ष्य भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए 2030 तक देश के तेल खोज क्षेत्र को 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाना है.
जीईओ इंडिया 24 सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में “नो-गो” क्षेत्रों को लगभग 99 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जिससे तेल और गैस की खोज के लिए विशाल नए क्षेत्र खुल गए हैं.
मंत्री ने आगे बताया कि जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत के केवल 6 प्रतिशत सेडिमेंट्री बेसिन में खोज की गई थी, लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है और ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) राउंड के तहत आगे की खोज गतिविधि के साथ यह 2025 तक बढ़कर 16 प्रतिशत हो जाएगा.
पुरी ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान सरकार के द्वारा लागू किए गए कई महत्वपूर्ण सुधारों के बारे में बताया.
आगे कहा कि प्रमुख सुधारों में खोज और उत्पादन गतिविधियों के लिए अप्रूवल प्रक्रिया को सरल बनाना है, जिसमें 37 अप्रूवल प्रक्रियाओं को घटाकर केवल 18 करना शामिल है, जिनमें से नौ अब सेल्फ-सर्टिफिकेट के लिए उपलब्ध हैं.
इसके अतिरिक्त, 2024 में ऑयल फील्ड्स (रेगुलेशन और डेवलपमेंट) संशोधन विधेयक की शुरूआत तेल और गैस उत्पादकों के लिए नीति स्थिरता सुनिश्चित करती है, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की अनुमति देती है, और लीज की अवधि बढ़ाती है.
मंत्री ने आगे कहा कि भारत का ऊर्जा लैंडस्केप तेजी से विकसित हो रहा है, देश में 651.8 मिलियन मीट्रिक टन पुनर्प्राप्त करने योग्य कच्चे तेल के भंडार और 1,138.6 अरब क्यूबिक मीटर पुनर्प्राप्त करने योग्य प्राकृतिक गैस भंडार अपने सेडिमेंट्री बेसिन के भीतर हैं.
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एबीएस/एबीएम