New Delhi, 26 अगस्त . दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ Enforcement Directorate (ईडी) की कार्रवाई पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाए. उन्होंने एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र Government आवाज को दबाना चाहती है.
पूर्व Chief Minister अरविंद केजरीवाल ने Tuesday को social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सौरभ भारद्वाज के घर ED की रेड Government की ओर से एजेंसीज के दुरुपयोग का एक और मामला है. Government आम आदमी पार्टी के पीछे पड़ गई है. जिस तरह ‘आप’ को टारगेट किया जा रहा है, ऐसे इतिहास में किसी पार्टी को नहीं किया गया.”
उन्होंने आगे लिखा, “इसलिए टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि Government की गलत नीतियों और भ्रष्ट कामों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज आम आदमी पार्टी की है. Government हमारी आवाज दबाना चाहती है. ये कभी नहीं होगा. आम आदमी पार्टी, बीजेपी के इन छापों से डरने वाली नहीं. हम हमेशा की तरह देश हित में गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे.”
दिल्ली के पूर्व उपChief Minister मनीष सिसोदिया ने भी Government पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने लिखा, “Monday को पूरे देश ने Prime Minister की डिग्री पर सवाल उठाया. जब डिग्री का सच सामने आया तो ध्यान भटकाने के लिए सौरभ भारद्वाज पर ईडी की रेड कराई जा रही है. सवाल साफ था कि क्या Prime Minister की डिग्री फर्जी है? लेकिन उस सवाल का जवाब देने की हिम्मत नहीं पड़ी, इसलिए आम आदमी पार्टी के नेताओं पर रेड डाल दी गई.”
सिसोदिया ने अपने पोस्ट में लिखा, “जिस दौर का ये केस बताया जा रहा है, उस समय सौरभ मंत्री थे ही नहीं. इसका सीधा मतलब है कि जैसे इनकी डिग्री फर्जी है वैसे ही केस भी फर्जी हैं. याद कीजिए सत्येंद्र जैन को. तीन साल जेल में रखा गया, सीबीआई और ईडी ने दिन-रात खंगाला, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला. सच्चाई ये है कि ये सारे केस फर्जी हैं. असली लड़ाई सच्चाई की नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की ईमानदारी को दबाने की है.”
गौरतलब है कि अस्पताल निर्माण में कथित घोटाला मामले में सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ईडी ने Tuesday सुबह 13 ठिकानों पर छापे मारे. इनमें सौरभ भारद्वाज का आवास भी शामिल है. बताया जाता है कि यह घोटाला कथित तौर पर लगभग 5,590 करोड़ रुपये का है. 2018-2019 में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली Government ने 24 अस्पतालों के निर्माण के लिए 5,590 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. आईसीयू अस्पताल का निर्माण छह महीने में पूरा होना था, लेकिन तीन साल बाद भी काम अधूरा है.
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डीसीएच/