फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए डीबीटी प्रणाली का उपयोग कर रही सरकार

मुंबई, 28 जुलाई . भारत सरकार की ओर से किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई प्रकार की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे किसानों की खेती लागत में कमी आए और मुनाफा अधिक हो.

केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में लिखित जवाब में कहा कि सरकार किसानों को उचित मूल्य पर फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है. फर्टिलाइजर में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत खुदरा दुकान पर स्थापित पीओएस उपकरणों के माध्यम से आधार प्रमाणीकरण के आधार पर लाभार्थियों को वास्तविक बिक्री पर विभिन्न ग्रेड के फर्टिलाइजर की 100 प्रतिशत सब्सिडी फर्टिलाइजर कंपनियों को जारी की जाती है.

पटेल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में सरकार 22 जुलाई तक फर्टिलाइजर के लिए 36,993.39 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी कर चुकी है. इससे पहले पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने 1,95,420.51 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी. वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 2,54,798.9 करोड़ रुपये था.

पटेल की ओर से आगे बताया गया कि किसानों को यूरिया पहले से अधिसूचित एमआरपी पर उपलब्ध कराया जाता है. यूरिया के 45 किलोग्राम बैग की कीमत 242 रुपये (एमआरपी) (नीम कोटिंग और लगने वाले करों को छोड़कर) है. भारत सरकार की ओर से किसानों द्वारा चुकाए जाने वाले मूल्य और लागत में आने वाले अंतर को सब्सिडी के रूप में फर्टिलाइजर कंपनियों को जारी किया जाता है.

मंत्री ने आगे कहा कि सभी किसानों को यूरिया सब्सिडी पर दिया जा रहा है. यूरिया की एमआरपी पूरे देश में एक समान है. सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटासीक (पीएंडके) फर्टिलाइजर के लिए अप्रैल 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) नीति लागू की है. इस नीति के तहत, वार्षिक/अर्धवार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि अधिसूचित पीएंडके फर्टिलाइजर पर उनके पोषक तत्व के आधार पर कंपनियों को प्रदान की जाती है और इसकी निगरानी सरकार की ओर से की जाती है. देश में फर्टिलाइजर के उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों में काफी इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 में यह 503.35 लाख टन था, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 485.29 लाख टन था.

एबीएस/एबीएम