रांची, 24 फरवरी . झारखंड में सूचना आयोग, लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग सहित 12 संवैधानिक संस्थाओं में वर्षों से रिक्त पदों पर नियुक्ति के मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से 19वीं बार तारीख मांग ली है.
इससे संबंधित जनहित और अवमानना याचिकाओं पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं हो पाया है. संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष का रहना अनिवार्य होता है. राज्य सरकार ने इसके लिए कोर्ट से समय देने का आग्रह किया. कोर्ट ने सरकार का आग्रह स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तारीख मार्च के अंतिम हफ्ते में निर्धारित की है.
राज्य में सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग से संबंधित पहली जनहित याचिका हाईकोर्ट में वर्ष 2020 में दाखिल की गई थी. इस पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया था कि इन पदों पर नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी. सरकार की इस अंडरटेकिंग के आधार पर कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी थी, लेकिन इसके बाद भी जब कई महीनों तक नियुक्ति नहीं हुई तो एडवोकेट राजकुमार ने इसे लेकर अवमानना याचिका दायर की.
इसके अलावा एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से राज्य में एक दर्जन संवैधानिक संस्थाओं में लंबे समय से अध्यक्ष एवं सदस्य के पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर एक अन्य जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया है कि राज्य बाल आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त आदि संवैधानिक संस्थाओं में वर्षों से पदों के रिक्त रहने से किसी तरह का कोई काम नहीं हो रहा है. अधिवक्ता इन जगहों पर पैरवी करते हैं, लेकिन इन आयोगों में काम नहीं होने से अधिवक्ताओं के समक्ष भी समस्या हो रही है.
इन याचिकाओं पर अदालत में अब तक कुल 35 बार सुनवाई हो चुकी है और इस दौरान राज्य सरकार की ओर से 19 बार वक्त लिया गया है. पिछली सुनवाइयों के दौरान हाईकोर्ट ने इसे लेकर तल्ख टिप्पणियां की थीं.
पिछले वर्ष जुलाई में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि अगस्त, 2024 तक रिक्त पदों पर नियुक्तियां कर ली जाएंगी. कोर्ट ने मौखिक तौर पर टिप्पणी की थी कि आखिर सरकार सूचना लोकायुक्त, राज्य मानवाधिकार आयोग एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पदों पर नियुक्ति के मामले में कछुआ चाल क्यों चल रही है?
उल्लेखनीय है कि इसी मामले से संबंधित एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है, जिस पर सुनवाई की अगली तारीख 4 मार्च को निर्धारित है.
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एसएनसी/एबीएम