युगांडा में इबोला वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने बनाया आइसोलेशन सेंटर

कंपाला, 3 फरवरी . युगांडा की राजधानी कंपाला में इबोला वायरस के प्रकोप के बाद सरकार ने एक आईसोलेशन और उपचार केंद्र स्थापित किया है. यह सुविधा मुलागो नेशनल रेफरल अस्पताल में बनाई गई है और इसमें 84 बिस्तर हैं.

इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विश्व बैंक के सहयोग से विकसित किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी हेनरी क्योबे बोसा ने बताया कि यह केंद्र सूडान इबोला वायरस रोग (एसवीडी) के संदिग्ध और पुष्ट मामलों का प्रबंधन करेगा. उन्होंने कहा कि यहां एक राष्ट्रीय आपातकालीन चिकित्सा टीम तैनात की गई है, जो पहले से प्रशिक्षित है और मरीजों की देखभाल के लिए तैयार है.

इसके अलावा, एमबाले में भी एक अलगाव केंद्र बनाया जा रहा है, जो जल्द ही काम करना शुरू कर देगा. इबोला के इस प्रकोप की घोषणा तब की गई, जब पिछले हफ्ते 32 वर्षीय एक नर्स की इस बीमारी से मृत्यु हो गई. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मृतक के संपर्क में आए 45 लोगों की पहचान कर ली गई है और उनकी निगरानी की जा रही है. सरकार ने जनता से शांत रहने की अपील की है और भरोसा दिलाया है कि स्थिति नियंत्रण में है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, युगांडा में पिछला इबोला प्रकोप सितंबर 2022 में शुरू हुआ था और जनवरी 2023 में समाप्त हुआ था, जिसमें 164 लोग संक्रमित हुए थे और 77 की मौत हुई थी.

ज्ञात हो कि इबोला एक दुर्लभ, लेकिन खतरनाक बीमारी है, जो संक्रमित जानवरों या लोगों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलती है. यह ज्यादातर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में प्रकोप के रूप में फैलती है. इसके शुरुआती लक्षण फ्लू की तरह होते हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द और शरीर पर चकत्ते. लेकिन यह तेजी से गंभीर रूप ले सकती है, जिससे उल्टी, रक्तस्राव और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इबोला वायरस चमगादड़ों, गैर-मानव प्राइमेट और मृग से इंसानों में फैल सकता है और फिर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाकर महामारी का रूप ले सकता है.

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