नई दिल्ली, 1 मई . केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को देश में जातीय जनगणना को मंजूरी दे दी. इस पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा कि सरकार ने जातीय जनगणना के लिए यही वक्त क्यों चुना. क्या सरकार पहलगाम के मुद्दे को भटकाना तो नहीं चाहती है.
राशिद अल्वी ने से बात करते हुए कहा, “देश में जातीय जनगणना निश्चित तौर पर होनी चाहिए. विपक्ष, खासकर राहुल गांधी, लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसके लिए अनिच्छुक थी. लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार इस घोषणा के जरिए पहलगाम जैसे गंभीर मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश कर रही है?
उन्होंने आगे कहा, “जब पूरा देश पहलगाम हमले के बाद सरकार के ठोस कदमों का इंतजार कर रहा है, ऐसे में जाति जनगणना की घोषणा से ध्यान भटकता नजर आता है. क्या सरकार आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय इस मुद्दे को दबाना चाहती है? क्या पहलगाम के शहीदों का बदला लेना प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए थी? प्रधानमंत्री सऊदी अरब से लौटने के बाद पहलगाम पर कड़ा संदेश देने के बजाय पटना में भाषण दे रहे थे. इससे लगता है कि सरकार का फोकस बिहार की राजनीति पर ज्यादा है. बिहार में भाजपा कार्यकर्ताओं का जाति जनगणना की घोषणा पर जश्न मनाना और मिठाइयां बांटना शर्मनाक है. जब 26 परिवार अभी शोक में डूबे हैं, तब ऐसी खुशियां मनाना क्या उचित है?”
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों, जैसे सपा और कांग्रेस, ने जाति जनगणना के लिए दबाव बनाया, और सरकार ने उनकी मांग मान ली. राहुल गांधी ने तो संसद में यहां तक कहा था कि अगर भाजपा नहीं कराएगी, तो उनकी सरकार आने पर यह काम होगा. लेकिन इस मांग को ऐसे समय में मानना, जब देश पहलगाम पर कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है, क्या उचित है?
उन्होंने कहा कि यहां श्रेय देने का सवाल नहीं है. मुद्दा यह है कि पहलगाम जैसे संवेदनशील मामले को प्राथमिकता देनी चाहिए थी. जाति जनगणना की घोषणा बाद में भी हो सकती थी. भाजपा का जश्न मनाना और सरकार का इस मुद्दे पर फोकस करना यह दर्शाता है कि पहलगाम का दर्द उनके लिए मुख्य नहीं है. यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
सरकार को पहले शहीदों का बदला लेना चाहिए था, फिर अन्य मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए था. क्या आप मानते हैं कि यह समय जाति जनगणना जैसे मुद्दे को उठाने का था, या पहलगाम के गुनहगारों को सजा देने का?
–
पीएसएम/