अग्निवीर योजना पर सरकार कर रही गुमराह, अच्छे सैनिक तैयार करने में लगते हैं सात-आठ साल : प्रमोद सहगल

नई दिल्ली, 29 जुलाई . अग्निवीर योजना को लेकर रिटायर्ड मेजर जनरल प्रमोद सहगल ने से खास बातचीत की. उन्होंने अग्निवीर योजना को देश और युवाओं के साथ धोखा बताया.

प्रमोद सहगल ने कहा कि अग्निवीर योजना देश और युवाओं के साथ धोखा है. अगर आजादी से पहले हिंदुस्तान का इतिहास देखें तो हजार साल तक हमने कई लड़ाइयां हारी और आजादी के बाद हमारी सेना ने पांच लड़ाइयां लड़ी, इसमें से हमने एक लडाई सिर्फ चीन से हारी. इस लड़ाई में ब्यूरोक्रेट्स और पॉलिटिशियन की गलतियों की वजह से हमें हार का सामना करना पड़ा था. बाकी की चार लड़ाई हमने बहुत शानदार तरीके से जीता है.

उन्होंने कहा कि इसी सेना ने बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक की. इसी सेना ने कारगिल युद्ध जीता. यह कहना की हमारे फौजी युवा नहीं है, इससे मैं सहमत नहीं हूं. एक अच्छे सैनिक को तैयार करने में सात से आठ साल लग जाते हैं. आज का युवा घबराया हुआ है, उनके माता-पिता घबराए हुए हैं. उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यह कहना कि हम भाजपा शासित राज्यों में अग्निवीर को नौकरी में 10 फीसद आरक्षण देंगे, सिर्फ दिखावा है.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष और देशवासियों का हक बनता है कि वह सवाल करें, सरकार की हर नीति पर सवाल उठाएं. अग्निवीर एक ऐसी योजना है, जो देश की सेवा और सुरक्षा से जुड़ी है. उस मुद्दे पर संसद में बहस की जाए. इस पर विचार करने के लिए एक पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई जाए. भाजपा ने एक दस सदस्यीय कमेटी बनाई है, लेकिन उसमें भाजपा के ही लोग हैं. इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यह देश की सुरक्षा का सवाल है. नेवी और एयरफोर्स ने भी कहा है कि हमें अग्निवीर की जरूरत नहीं है. एक अच्छे सैनिक को तैयार करने आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग देने में सात से आठ साल लग जाते हैं. लेकिन अग्निवीर चार साल में ही निकल जाते हैं, सरकार ने सेना में भर्ती को लेकर अग्निवीर का जो फैसला लिया है वह गलत है.

उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना को लेकर सरकार लोगों को गुमराह कर रही है, न कि विपक्ष. विपक्ष का हक है कि इस योजना पर बहस करे. मैं खुद एक सैनिक रह चुका हूं और तमाम सैनिक कह रहे हैं कि यह योजना गलत है. सेना से जुड़े सभी पुराने अधिकारी कह रहे हैं कि यह योजना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाली है. सरकार हजारों अधिकारियों के फैसले को नजरअंदाज कर रही है. सेना के अधिकारियों ने इस योजना की डिमांड नहीं की थी, यह योजना उन पर थोपी गई. हमारी सेना की पूरी दुनिया में चर्चा होती है. सभी मुल्कों को पता है कि जितनी मजबूत सेना हिंदुस्तान की है, उतनी मजबूत किसी और देश की सेना नहीं है.

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