नई दिल्ली, 8 फरवरी . विदेशी निवेशक लंबी अवधि के नजरिए से अच्छे रिटर्न प्राप्त करने के लिए भारतीय शेयर बाजारों में दोबारा से वापसी करेंगे. यह जानकारी शनिवार को एक्सपर्ट्स द्वारा दी गई.
सरकार विकसित भारत के लक्ष्य के तहत लगातार सुधारों को लागू कर रही है और इससे आने वाले समय में विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की संभावना है.
बीडीओ इंडिया में पार्टनर (फाइनेंशियल सर्विसेज -टैक्स), मनोज पुरोहित ने कहा कि विदेशी निवेशकों का इनफ्लो अभी भी सकारात्मक नहीं है, लेकिन पिछले हफ्ते बजट में की गई घोषणाओं और इस हफ्ते सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति जारी होने से भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में फिर से आगे हो गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किए गए बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया था. वहीं, शुक्रवार को आरबीआई द्वारा जारी गई मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 25 आधार अंक घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया था.
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नवनिर्वाचित अमेरिकी सरकार द्वारा संभावित टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों की घोषणा, बढ़ते मुद्रास्फीति जोखिम, मुद्रा मूल्यह्रास, चारों ओर मंडराते व्यापार युद्ध जैसे व्यापक कारकों के बावजूद, भारत में निवेश और खपत को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए उपायों और समय पर रेपो रेट में कटौती से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, जिससे बाजार में उछाल आने की संभावना है.
पुरोहित ने आगे कहा, “सरकार ने कर व्यवस्था को सरल बनाकर, कराधान पर विसंगतियों को स्पष्ट करके, आईएफएससी गिफ्ट सिटी में कई कर छुट्टियों को 5 साल तक बढ़ाकर विदेशी निवेशकों के लिए दरवाजे खुले रखकर अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराया है.”
सरकार ने बजट में इंश्योरेंस सेक्टर में 100 प्रतिशत एफडीआई करके तेजी से उभरते इस सेक्टर को बढ़ावा दिया है.
जनवरी में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजारों से 72,300 करोड़ रुपये निकाले थे. जनवरी के कुल 23 में से 22 कारोबारी सत्रों में एफआईआई ने बिकवाली की थी.
जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के एक नोट के अनुसार, “जनवरी तक भारतीय इक्विटी में एफआईआई की हिस्सेदारी 16.0 प्रतिशत थी, जो अक्टूबर के समान थी.”
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एबीएस/