New Delhi, 6 अगस्त . संसद के मॉनसून सत्र में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भारी हंगामा किया. विपक्ष का आरोप है कि यह संशोधन आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं, खासकर दलितों, पिछड़े वर्गों और गरीब समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है. इसी बीच कांग्रेस सांसद और Lok Sabha में उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में चर्चा से बच रही है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है.
Wednesday को से बातचीत के दौरान गौरव गोगोई ने पूछा कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है और इस चुप्पी के पीछे का डर क्या है. देश को इस बात पर चिंता जतानी चाहिए कि एक चुनी हुई सरकार मतदाता सूची के संशोधन और मतदान प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा से बच रही है.
गोगोई ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया और कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर खुली चर्चा चाहता है ताकि आम लोगों को अपने मताधिकार और मतदान केंद्रों की जानकारी स्पष्ट हो सके. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला नहीं है, इसलिए सरकार को सदन में खुली चर्चा से बचने का कोई कारण नहीं होना चाहिए. अगर सरकार इस विषय को संसद में नहीं उठने देगी, तो लोग अपने सवाल कहां पूछेंगे?
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष की ओर से मांग की कि इस मुद्दे पर पारदर्शी और खुली चर्चा हो, ताकि लोगों का भरोसा लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर बना रहे.
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग मनमाने ढंग से काम करेगा और सत्तापक्ष की कठपुतली बनकर रहेगा, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. लोकतंत्र को बचाने के लिए संसद, जो लोकतंत्र का मंदिर है, उसमें इस मुद्दे पर खुली चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने संविधान में निहित चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग निरंकुश हो रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक है. पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर उन्होंने विशेष रूप से चिंता जताई और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लोकतंत्र को कमजोर करने पर आमादा है, जो अत्यंत दुखद है.
इमरान मसूद ने कहा कि विपक्ष संसद के बाहर लगातार एसआईआर के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा रहा है, लेकिन सरकार और चुनाव आयोग की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी, तो जनता अपनी आपत्तियां और सवाल कहां उठाएगी.
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डीकेएम/एसके/एएस