मुंबई, 4 मई . सरकार नीतियों, प्रोडक्शन इनिशिएटिव्स और मजबूत इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन द्वारा क्रिएटर-फर्स्ट इकोसिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह बयान सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन ने दिया.
हाल ही में हुए एंटी-पायरेसी सुधारों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का फोकस आज के डिजिटल युग में क्रिएटर्स के अधिकारों को सुरक्षित रखने पर है.
देश की आर्थिक राजधानी में हुए “वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट” (वेव्स) के तीसरे दिन मोशन पिक्चर एसोसिएशन (एमपीए) ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भारत के फिल्म, टेलीविजन और स्ट्रीमिंग क्षेत्रों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए एक कॉम्प्रिहेंसिव रिपोर्ट का अनावरण किया.
इवेंट में बोलते हुए मुरुगन ने एमपीए के वैश्विक नेतृत्व की सराहना की और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों पर भारतीय सिनेमा के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार किया.
उन्होंने कहा, “आरआरआर और बाहुबली जैसी फिल्मों ने साबित कर दिया है कि भारतीय कहानियां विभिन्न भाषाओं और भौगोलिक क्षेत्रों में गूंजती हैं.”
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “सिनेमा सिर्फ एक आर्थिक इंजन नहीं है. यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सांस्कृतिक पुल है. भारत मोशन पिक्चर एसोसिएशन के साथ अपनी साझेदारी को और गहरा करने के लिए तत्पर है, जिससे वैश्विक स्तर पर सम्मानित और सुरक्षित क्रिएटिव उद्योग का सह-निर्माण किया जा सके.”
एमपीए के अध्यक्ष और सीईओ चार्ल्स रिवकिन ने भारत में एमपीए की चल रही साझेदारी के बारे में उत्साह व्यक्त किया और इसे देश के मनोरंजन उद्योग के लिए “महत्वपूर्ण क्षण” बताया.
रिवकिन ने कहा, “भारत की क्रिएटिव इकोनॉमी असाधारण विकास के लिए तैयार है और एमपीए को इस यात्रा का समर्थन करने पर गर्व है.”
रिपोर्ट का अनावरण करने के बाद प्रमुख निष्कर्षों को साझा करते हुए रिवकिन ने कहा कि भारतीय फिल्म, टीवी और स्ट्रीमिंग उद्योगों ने 26 लाख नौकरियां सृजित की हैं और वार्षिक आर्थिक उत्पादन में 60 अरब डॉलर से अधिक का योगदान दिया है.
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एबीएस/