लुधियाना, 6 जनवरी . पंजाब में सरकारी बसों की हड़ताल के चलते 6 से 8 जनवरी तक पनबस, पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी की कुल 244 बसें बंद रहेंगी. इस हड़ताल के कारण करीब 1 लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित होंगे. सरकारी बसों के बंद होने से लोग प्राइवेट बसों का सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे, जिससे बस स्टैंड पर भीड़ बढ़ने की संभावना है. साथ ही, सरकारी बसों की सेवा बंद होने से महिलाओं, कामकाजी पेशेवरों और विद्यार्थियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, जो नियमित रूप से इन बसों का उपयोग करते हैं.
यह हड़ताल पंजाब रोडवेज पनबस/पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर यूनियन की अपील पर की जा रही है. यूनियन के प्रदेश रेशम सिंह गिल ने बताया कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के साथ लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है. हमारी मुख्य मांग राज्य में बसों के ठेका प्रथा को समाप्त करना है. गिल ने बताया कि कर्मचारियों की अस्थाई नियुक्तियों को स्थाई करने, नई बसों की व्यवस्था और वेतन बढ़ाने की मांग भी की जा रही है.
एक रोडवेज कर्मचारी सतनाम सिंह ने से बात करते हुए बताया, “हमारी हड़ताल का आज पहला दिन है. जब तक रोडवेज कर्मचारियों की मांगों को माना नहीं जाएगा, हम ऐसे ही प्रदर्शन करते रहेंगे. जो भी कमियां हैं उनको दूर किया जाए.
इसके अलावा, रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी के कर्मचारी ट्रांसपोर्ट माफिया पर रोक लगाने और विभाग में सुधार के लिए भी संघर्षरत हैं. हड़ताल के दौरान, 7 जनवरी को चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर भी एक प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा.
इससे पहले रविवार को पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारी एसोसिएशन के चंडीगढ़ डिपो के प्रधान गुरप्रीत सिंह ने हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि तीन दिनों तक लगभग तीन हजार बसों का चक्का जाम रहेगा.
गुरप्रीत सिंह ने से बात करते हुए कहा था कि उनकी प्रमुख मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करना और 10 हजार नई बसों को रोडवेज के बेड़े में शामिल करना शामिल है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो 7 जनवरी को वह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास का घेराव करेंगे. इसके बाद भी अगर उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तब वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के घर का घेराव करने का फैसला लेंगे.
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पीएसएम/जीकेटी