गरीबों को न्याय दिलाने के लिए अच्छे वकीलों को सामने आना चाहिए : रालोद नेता मलूक नागर

New Delhi, 13 जुलाई . रालोद नेता मलूक नागर ने मुख्य न्यायाधीश बीआर. गवई के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है.

रालोद नेता मलूक नागर ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने तीन महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा किया है. उनकी बातों में इसका साफ संकेत मिला है कि गरीबों को न्याय दिलाने के लिए देश के अच्छे वकीलों को सामने आना चाहिए.

रालोद नेता ने से बातचीत के दौरान कहा कि मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अपने संबोधन में तीन महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा किया है. उन्होंने उन गरीब व्यक्तियों के बारे में बात की जो मामूली अपराधों, जैसे बिना रेल टिकट के पकड़े जाने, के लिए जेल में रहते हैं. ऐसे कई लोग छोटे-मोटे अपराधों के लिए वर्षों जेल में बिताते हैं. इससे न केवल Government का खर्च बढ़ता है, बल्कि जेलों में भीड़ भी बढ़ जाती है, जिससे कैदियों के लिए जगह नहीं बचती. यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिसमें वास्तव में सुधार की आवश्यकता है. तीसरा उन्होंने उस बिंदु पर जोर दिया है कि लोगों को न्याय दिलाने के लिए अच्छे वकील सामने आएं. कई बार होता है कि जब एक सुलझा हुआ वकील अपनी मजबूत दलील पेश करता है तो बेल मिलने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है.

उन्होंने नालसा बॉडी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना है. अगर इसमें कुछ अच्छे Governmentी वकील जुड़ जाएं तो गरीबों को काफी लाभ होगा. इससे जेल में कैदियों की बढ़ती संख्या और Governmentी खर्च पर भी असर पड़ेगा. एनडीए Government ने कई कानूनों में बदलाव किया है. अंग्रेजों के वक्त के कानूनों को वर्तमान की स्थिति के अनुसार बदला गया है. यह Government संवेदनशील है.

बिहार वोटर लिस्ट विवाद पर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए रालोद नेता मलूक नागर ने कहा कि राहुल को पहले व्यवस्था को समझना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्राम प्रधान, विधानसभा और Lok Sabha चुनावों के लिए अलग-अलग मतदाता सूचियां होती हैं और इनमें अंतर स्वाभाविक है. नागर ने Maharashtra का उदाहरण देते हुए कहा कि Lok Sabha और विधानसभा चुनावों की मतदाता सूचियां अलग थीं. पहले Lok Sabha के चुनाव हुए, इसके बाद विधानसभा के चुनाव हुए. उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस शासनकाल की लिस्ट की जांच करने पर चुनाव चोरी के आरोपों का सच सामने आ जाएगा.

डीकेएम/एबीएम