वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच खुदरा निवेशकों ने बढ़ाई मांग, नई ऊंचाई पर सोने की कीमतें

मुंबई, 31 मार्च . अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही सोमवार को सोने की कीमतें पहली बार 3,106 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गईं. वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इस सुरक्षित निवेश की ओर निवेशकों का आकर्षण बढ़ रहा है.

इस साल खुदरा निवेशकों द्वारा मांग बढ़ाने के कारण पीली धातु में 18 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है. गोल्डमैन सैक्स, बैंक ऑफ अमेरिका और यूबीएस ने इस महीने सोने के लिए अपने मूल्य लक्ष्य बढ़ा दिए हैं.

बोफा ग्लोबल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर नॉन-कमर्शियल खरीद में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो अगले 18 महीनों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना है.

एक नोट में कहा गया है, “अगर नॉन-कमर्शियल खरीद में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो आने वाले 18 महीनों में सोना संभावित रूप से 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है.” साथ ही, दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने पोर्टफोलियो को और अधिक कुशल बनाने के लिए अपने सोने की होल्डिंग को मौजूदा औसतन 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत से अधिक कर सकते हैं.

2024 में भारत में सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्ति वर्गों में से एक के रूप में उभरा, जिसने सालाना आधार पर 21 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया.

गोल्ड ईटीएफ में रिकॉर्ड इनफ्लो के कारण भारतीय बाजार ने सोने में मजबूत निवेश रुचि दिखाई है.

मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के अनुसार, 2024 में, भारतीय गोल्ड ईटीएफ में 112 बिलियन रुपये का शुद्ध प्रवाह देखा गया, जिससे उनकी होल्डिंग में 15 टन की वृद्धि हुई, जो वर्ष के अंत तक 57.8 टन तक पहुंच गई.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी सोने के संचय का अपना ट्रेंड जारी रखा. आरबीआई 2024 में अपने भंडार में 72.6 टन सोना जोड़कर, कुल भंडार को 876 टन तक ले आया. यह लगातार सातवां वर्ष है, जब आरबीआई सोने का शुद्ध खरीदार रहा है. अब आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा 10.6 प्रतिशत है.

जहां ऊंची कीमतों ने आभूषणों की मांग को प्रभावित किया, वहीं फिजिकल गोल्ड, विशेष रूप से बार और सिक्कों की निवेश मांग मजबूत रही.

विशेषज्ञों का कहना है कि सोना पोर्टफोलियो में दीर्घकालिक रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में काम कर सकता है.

एसकेटी/एबीएम