वैश्विक सर्वेक्षण: द्वितीय विश्व युद्ध में चीन की मुख्य पूर्वी युद्धक्षेत्र भूमिका को मिली मान्यता

बीजिंग, 2 सितंबर . Wednesday को चीन पूरे राष्ट्र के स्तर पर चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ को गंभीरता से मनाएगा. इस अवसर से पहले, सीजीटीएन द्वारा किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण में, जो 39 देशों के 11,613 लोगों पर आधारित था, यह सामने आया है कि दुनिया भर में चीन की भूमिका को द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य पूर्वी युद्धक्षेत्र के रूप में व्यापक रूप से मान्यता दी जाती है. सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने चीन के असाधारण योगदान और भारी बलिदानों की भी सराहना की, जिनकी बदौलत युद्ध में जीत संभव हो पाई.

चीन ने इस 14 वर्ष लंबे अभूतपूर्व युद्ध के दौरान 3.5 करोड़ से अधिक जनहानि और 600 अरब डॉलर से ज्यादा आर्थिक नुकसान सहते हुए जापानी फासीवादी आक्रमण का डटकर सामना किया. अंततः चीन ने आक्रामकों को परास्त किया और द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य पूर्वी मोर्चे की अपनी भूमिका को मजबूत किया. सर्वेक्षण के अनुसार, 73.6 प्रतिशत प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि फासीवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में चीन का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था. 39 देशों में से 36 देशों के लोग चीन को द्वितीय विश्व युद्ध का प्रमुख पूर्वी युद्धक्षेत्र मानते हैं, जो कुल का 92.3 प्रतिशत है. खास बात यह है कि सर्वेक्षण में शामिल सभी आठ एशियाई देशों ने चीन की इस भूमिका को मान्यता दी. भारत और मलेशिया में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस विचार से सहमति जताई.

सर्वे में यह भी सामने आया कि 74.9 प्रतिशत लोगों को चीन के जापानी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध की जानकारी है. साथ ही, 66.5 प्रतिशत प्रतिभागियों ने यह माना कि चीन ने अन्य एशियाई देशों को भी जापानी आक्रमण का मुकाबला करने में मदद की. 39 देशों में से 33 देशों के लोग चीन के इस योगदान को मानते हैं, जो कुल का 84.6 प्रतिशत है. विशेष रूप से भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया में 60 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस बात को स्वीकार किया.

उम्र के आधार पर देखें तो 44 वर्ष से कम आयु वाले लोगों में चीन के योगदान को लेकर जागरूकता और मान्यता का स्तर, 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों की तुलना में ज्यादा है. एशियाई देशों में 18 से 24 वर्ष की आयु वाले युवाओं ने सबसे अधिक संख्या में चीन को द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य पूर्वी युद्धक्षेत्र माना और एशिया व विश्व में फासीवाद के खिलाफ चीन के समर्थन और योगदान को स्वीकार किया. कुल मिलाकर, एशियाई देशों के प्रतिभागियों ने सभी आयु वर्गों में वैश्विक औसत की तुलना में चीन की भूमिका को अधिक मजबूती से मान्यता दी. खासतौर पर 44 वर्ष से कम आयु वाले एशियाई प्रतिभागियों में इस विचार को 60 प्रतिशत से ज्यादा समर्थन मिला.

यह सर्वेक्षण सीजीटीएन और चीन की रनमिन यूनिवर्सिटी ने मिलकर ‘न्यू एरा इंटरनेशनल कम्युनिकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के जरिए किया. इसमें विकसित देशों और ग्लोबल साउथ (विकासशील) देशों के लोगों को शामिल किया गया. सभी प्रतिभागी 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और सर्वे का सैंपल संबंधित देशों की जनगणना के आयु और लिंग वितरण के अनुरूप रखा गया.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

एएस/