ग्लोबल सिख काउंसिल ने तख्त श्री हजूर अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों की निंदा की

चंडीगढ़, 8 फरवरी . राष्ट्रीय स्तर के सिख संगठनों के परिसंघ ग्लोबल सिख काउंसिल (जीएससी) ने तख्त श्री हजूर अबचल नगर साहिब बोर्ड नांदेड़ अधिनियम, 1956 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों की गुरुवार को निंदा की.

काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए चेतावनी दी गई कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के ऐसे एकतरफा फैसले सिख गुरुद्वारा मामलों का घोर उल्लंघन हैं और सिख इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.

जीसीसी अध्यक्ष कंवलजीत कौर ने एक बयान में महाराष्ट्र सरकार द्वारा सिख भावनाओं के प्रति दिखाई गई “लगातार उपेक्षा” पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा, “इस अधिनियम में संशोधन केवल सिखों की पांचवीं लौकिक सीट के प्रबंधन पर नियंत्रण हासिल करने के लिए किया गया है. भाजपा ने पहले नांदेड़ साहिब बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को कमजोर कर दिया था और अपनी पसंद के बोर्ड अध्यक्षों को स्थापित करने के लिए कानून की धारा 11 में संशोधन किया था. अब, वर्तमान भाजपा शासक बोर्ड में सिख संगठनों द्वारा नामांकित सदस्यों की संख्या को सीमित कर और सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों की संख्या बढ़ाकर गुरुद्वारों पर कब्ज़ा का एक जबरदस्त प्रयास किया है.”

दुनिया भर के सिखों से लोकतांत्रिक तरीकों से सिख संस्थानों पर लगातार हमले का विरोध करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने 67 साल पुराने नांदेड़ अधिनियम में संशोधन करने से पहले सिख नेताओं और इसके स्थापित संस्थानों को सार्थक परामर्श में शामिल न करने की निंदा की.

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