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New Delhi, 26 नवंबर . डेटा सेंटर के लिए 2025 में बिजली की मांग में वैश्विक स्तर पर 16 प्रतिशत का उछाल आने का अनुमान है. वहीं, मांग को लेकर 2030 तक दोगुनी वृद्धि देखी जा सकती है. यह जानकरी Wednesday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
गार्टनर के एलानिस्ट का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर डेटा सेंटर इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन 2025 के 448 टेरावाट प्रति घंटे से बढ़ कर 2030 तक 980 टेरावाट प्रति घंटा हो जाएगी.
गार्टनर में रिसर्च डायरेक्टर लिनग्लान वांग ने कहा कि कंवेंशनल सर्वर और सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर समग्र डेटा सेंटर इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन में योगदान देंगे. इसी के साथ तेजी से बढ़ते एआई-ऑप्टिमाइज्ड सर्वर डेटा सेंटर पावर कंज्पशन को बढ़ा रहे हैं.”
2025 में कुल सेंटर पावर इस्तेमाल में एआई- ऑप्टिमाइज्ड सर्वर की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत और 2030 तक बढ़कर 44 प्रतिशत होने का अनुमान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 में वे डेटा सेंटर के लिए इंटीक्रिमेंटल पावर डिमांड की 64 प्रतिशत हिस्सेदारी को दर्शाएंगे.
डेटा सेंटर से बिजली की मांग को लेकर अमेरिका और चीन की हिस्सेदारी दो-तिहाई यानी 66 प्रतिशत से अधिक होगी, जिसमें चीन अधिक पावर-एफिशिएंट सर्वर और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर योजना के कारण बेहतर स्थिति में होगा.
अमेरिका की डेटा सेंटर इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल 2025 के 4 प्रतिशत से बढ़कर 2030 में 7.8 प्रतिशत होने का अनुमान है. इसके अलावा, यूरोप का बिजली इस्तेमाल 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत हो जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए क्लीन ऑन-साइट पावर अल्टरनेटिव जैसे ग्रीन हाइड्रोजन, जियोथर्मल और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर उभरना शुरू हो गए हैं और इस दशक के अंत तक डेटा सेंटर माइक्रोग्रिड के लिए एक फ्यूल अल्टरनेटिव बन जाएंगे.
डेटा सेंटर के लिए शॉर्ट टर्म में नेचुलर गैस मेन पावर सोर्स होगा.
उन्होंने कहा कि अगले 3 से 5 वर्षों में हम सोलर और विंड एनर्जी फ्लक्चुएशन को बैलेंस करने के लिए बैटरी स्टोरेज सिस्टम में तेज वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं.
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एसकेटी/