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New Delhi, 26 अक्टूबर . India में लगातार ग्लोबल कॉरपोरेट्स नया निवेश कर अपने ऑपरेशंस का विस्तार कर रहे हैं. वहीं, Pakistan से ग्लोबल कंपनियां अपना कारोबार समेट रही हैं.
एक जापानी अखबार संकेई शिंबुन की वेबसाइट में बताया गया, “यह रुझान न सिर्फ मैक्रोइकोनॉमिक ट्रेड को दर्शाता है, बल्कि बिजनेस कल्चर, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और संस्थागत क्षमता को भी दिखाता है, जो कि निवेशकों के विश्वास और लंबी-अवधि के रणनीतिक निर्णय को आकार देते हैं.
प्रोफेसर पेमा ग्यालपो द्वारा लिखे गए आर्टिकल में कहा गया है कि विश्व का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बाद भी Pakistan वैश्विक कंपनियों का अपनी ओर ध्यान खींचने में नाकामयाब रहा है. प्रॉक्टर एंड गैंबल (पीएंडजी) द्वारा Pakistan में अपने मैन्युफैक्चरिंग और कमर्शियल ऑपरेशंस को बंद करने की हाल की घोषणा व्यापक चुनौतियों का संकेत है.
पीएंडजी के बाहर निकलने के बाद शेल, फाइजर, टोटलएनर्जीज, टेलीनॉर और माइक्रोसॉफ्ट ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं. फाइजर ने 2024 में अपना कराची स्थित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लकी कोर इंडस्ट्रीज को बेच दिया, जिससे स्थानीय उत्पादन बंद हो गया. शेल ने वर्षों के रणनीतिक पुनर्विचार के बाद 2023 में सऊदी अरब की वाफी एनर्जी को अपनी हिस्सेदारी बेच दी और Pakistan में कारोबार समेट लिया.
टोटलएनर्जीज ने टोटल पार्को Pakistan लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी सिंगापुर स्थित गुनवोर ग्रुप को बेच दी. विलय के असफल प्रयास के बाद, टेलीनॉर ने अपने Pakistanी परिचालन को Pakistan टेलीकम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड को बेचने पर सहमति जताई, हालांकि नियामक मंजूरियों के कारण यह लेन-देन विलंबित हो गया है. माइक्रोसॉफ्ट ने Pakistan में 25 साल बिताने के बाद, जुलाई 2025 में चुपचाप अपना ऑपरेशन बंद कर दिया.
Pakistan से कंज्यूमर गुड्स, एनर्जी, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार और टेक्नोलॉजी समेत सभी सेक्टर्स में कंपनियां कारोबार समेट रही हैं, जो सेक्टर-विशिष्ट के बजाय प्रणालीगत समस्याओं का संकेत देती हैं. इंडस्ट्री लीडर्स, इसकी वजह उच्च बिजली लागत, नियामक अनिश्चितता और बुनियादी ढांचे की बाधाओं को रुकावट को मानते हैं.
जिलेट Pakistan के पूर्व सीईओ साद अमानुल्लाह खान ने कहा कि इस तरह के निकासी नीति निर्माताओं के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए. विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स की कमी, बार-बार बिजली कटौती और अनुमोदन में देरी ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए कुशलतापूर्वक संचालन करना लगातार कठिन बना दिया है.
दूसरी तरफ, India एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब के रूप में उभर रहा है. अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में India ने 81 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आकर्षित किया है. इसकी वजह देश आर्थिक विकास, मध्यम वर्ग की बढ़ती आर्थिक क्षमता और बिजनेस-फ्रेंडली नीतियां हैं.
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एबीएस/