New Delhi, 21 जुलाई ( . 13 साल से कम उम्र में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले बच्चों में युवावस्था में मेंटल हेल्थ संबंधी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. Monday को प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में यह बात सामने आई है, जिसमें एक लाख से अधिक युवाओं का डेटा शामिल है.
जर्नल ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड कैपेबिलिटीज में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, 18 से 24 साल के उन युवाओं में आत्मघाती विचार, आक्रामकता, भावनात्मक अस्थिरता और कम आत्मसम्मान की शिकायतें ज्यादा देखी गईं, जिन्हें 12 साल या उससे कम उम्र में पहला स्मार्टफोन मिला था.
अध्ययन में पाया गया कि स्मार्टफोन के कारण बच्चे कम उम्र से ही social media चलाने लगते हैं, जिससे साइबरबुलिंग, नींद में खलल और परिवार से रिश्तों में दूरी जैसे जोखिम बढ़ते हैं.
अमेरिका की सैपियन लैब्स की संस्थापक और वैज्ञानिक डॉ. तारा थियागराजन ने बताया, “हमारे डेटा से पता चलता है कि कम उम्र में स्मार्टफोन और social media का इस्तेमाल युवावस्था में मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है.”
उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है. उनका कहना है कि इन बच्चों में डिप्रेशन और चिंता के लक्षण नहीं दिखते, इसलिए सामान्य जांच में ये समस्याएं पकड़ में नहीं आतीं.
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि शराब और तंबाकू की तरह स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर भी 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पाबंदी लगाई जाए. साथ ही, डिजिटल साक्षरता अनिवार्य करने और कॉरपोरेट जवाबदेही सुनिश्चित करने की बात कही.
अध्ययन में 100,000 युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन माइंड हेल्थ कोशेंट (एमएचक्यू) नामक टूल से किया गया, जो सामाजिक, भावनात्मक, कॉग्निटिव और शारीरिक स्वास्थ्य को मापता है. नतीजों से पता चला कि कम उम्र में स्मार्टफोन मिलने से लड़कियों में अविश्वास की भावना ज्यादा बढ़ती है और भावनात्मक रूप से काफी कमजोर हो जाती हैं, जबकि लड़के अस्थिर, अशांत और उदासीन या क्रोधित होते हैं.
फ्रांस, नीदरलैंड, इटली और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध या सीमित उपयोग के नियम लागू किए हैं. अमेरिका के कई राज्य भी स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग को सीमित करने वाले कानून बना चुके हैं.
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एमटी/केआर