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Lucknow, 21 नवंबर . बेसिक शिक्षा में प्रदेश की बाल एवं किशोर देखरेख संस्थाओं में प्रतिनियुक्त शिक्षकों की क्षमताओं को सुदृढ़ करने हेतु चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का Friday को सफलतापूर्वक समापन हुआ.
इस दौरान उन्होंने कहा कि बच्चों को अपनत्व और संवेदना देना ही उनकी समस्याओं के समाधान का पहला कदम है. अपर मुख्य सचिव, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा, पार्थसारथी सेन शर्मा ने कहा कि बच्चों को अपनत्व और संवेदना देना ही उनकी समस्याओं के समाधान का पहला कदम है.
उन्होंने कहा कि जब आप इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह समझकर उनकी भावनाओं से जुड़ेंगे, तो उनके समाधान स्वतः ही सामने आने लगेंगे. यह सदैव ध्यान रखें कि जिस बच्चे को आप पढ़ा रहे हैं, वह आपकी किसी भी परेशानी का कारण नहीं है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षण से मिली सीख इन किशोरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी. कार्यक्रम का आयोजन माननीय उच्च न्यायालय के किशोर न्याय समिति के तत्वावधान में तथा यूनिसेफ द्वारा विकसित मॉड्यूल पर आधारित प्रशिक्षण के रूप में किया गया.
निदेशक एससीईआरटी डॉ. गणेश कुमार द्वारा अतिथियों के स्वागत उपरांत शुरू हुए सत्र में उपनिदेशक, महिला कल्याण ब्रजेन्द्र सिंह निरंजन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे. 18 से 21 नवंबर तक चले इस प्रशिक्षण में 16 जनपदों के 46 प्रतिनियुक्त शिक्षकों ने प्रतिभाग किया. एससीईआरटी द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के उन किशोरों को प्रभावी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ना है जो किसी कारणवश अपराध कर चुके हैं अथवा अपराध के शिकार, पीड़ित, परित्यक्त या अनाथ हैं. ये किशोर प्रदेश के 53 चिल्ड्रेन होम्स और Governmentी ऑब्जर्वेशन होम्स में निवासरत हैं.
प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को किशोर मनोविज्ञान की समझ, संस्थागत वातावरण में शिक्षण के उपयुक्त तरीके, शिक्षा में रुचि विकसित करने के उपाय तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक कौशल से अवगत कराया गया. समापन सत्र में अपर मुख्य सचिव ने प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों को चुनौतियों से निपटने में समर्थ बनाएगा, बल्कि शिक्षकों के अनुभवों से प्रशिक्षण मॉड्यूल को और प्रभावी बनाने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से फीडबैक लेकर कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन पर जोर दिया.
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विकेटी/डीएससी