महाराष्ट्र की महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई लड़की बहिन योजना न केवल महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, बल्कि उन दिलों को भी जीत रही है, जो लंबे समय से आर्थिक तंगी और असमानता का सामना कर रहे थे. यह योजना मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और वित्त मंत्री अजित पवार के विजन का प्रतीक है, जिसमें महिलाओं को सशक्त बनाने का दृढ़ संकल्प झलकता है.
जब यह योजना जुलाई 2023 में शुरू हुई, तो इसका उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं था, बल्कि समाज में महिलाओं की आवाज़ को मज़बूत करना था. हर वर्ग की पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की वित्तीय मदद दी जा रही है, ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें.
रजिस्ट्रेशन में भारी उत्साह, डेढ़ करोड़ महिलाएं जुड़ीं
यह योजना जैसे ही शुरू हुई, महाराष्ट्र की महिलाओं ने इसे हाथोंहाथ लिया. देखते ही देखते डेढ़ करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन करा लिया, जो यह बताता है कि यह योजना महिलाओं के जीवन में कितना महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है. अगस्त 2023 से उनके खातों में पैसे जमा होने शुरू हो गए, और हर महीने उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करती रही है.
लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था.
विरोधियों की साजिशें और सरकार का अडिग संकल्प
जैसे ही इस योजना की लोकप्रियता बढ़ी, विपक्षी दलों को इसका डर सताने लगा. चुनाव से कुछ महीने पहले लॉन्च की गई इस योजना को लेकर उन्होंने सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाए. शुरुआत में तो उन्होंने इसे महज एक “चुनावी जुमला” करार दिया.
लेकिन जैसे ही सरकार ने जुलाई से महिलाओं के खाते में 1500 रुपये जमा करना शुरू किया, विरोधियों की जुबान बंद हो गई. महिलाएं इस योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद से इतनी खुश थीं कि उन्होंने इन आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दिया और भारी संख्या में पंजीकरण कराया.
राज्य पर वित्तीय बोझ का झूठा प्रचार
जब विपक्ष ने देखा कि योजना को बदनाम करने का पहला प्रयास विफल हो गया, तो उन्होंने दूसरी चाल चली. उन्होंने कहा कि इस योजना से राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा, और यह दावा किया कि सरकार को योजना की राशि चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.
लेकिन वित्त मंत्री अजित पवार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार के पास इस योजना को चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. इससे विरोधियों की एक और साजिश नाकाम हो गई.
ऑनलाइन पंजीकरण में बाधाएं, सरकार का ठोस समाधान
विपक्ष ने योजना को रोकने के लिए और भी हथकंडे अपनाए. उन्होंने ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की, गलत सूचना फैलाकर लोगों को गुमराह करने की योजना बनाई. उन्होंने सरकारी पोर्टल्स पर भ्रामक जानकारी फैलाई ताकि महिलाएं योजना का लाभ न उठा सकें.
लेकिन सरकार ने इन बाधाओं का डटकर मुकाबला किया और ऑफलाइन आवेदनों को स्वीकार कर यह सुनिश्चित किया कि कोई भी महिला योजना से वंचित न रह जाए. सरकार ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों को दूर करने के लिए भी त्वरित कदम उठाए, ताकि महिलाओं को भ्रमित न किया जा सके.
दिवाली से पहले महिलाओं को मिली खुशी की सौगात
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह स्पष्ट किया कि यह योजना केवल चुनाव तक सीमित नहीं है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि चुनाव के बाद भी यह योजना जारी रहेगी. दिवाली से पहले महिलाओं को उनकी किश्तों का वितरण करके सरकार ने महिलाओं के जीवन में खुशियों की सौगात दी.
उद्धव ठाकरे की धमकी और महिलाओं का समर्थन
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जब यह धमकी दी कि अगर वे सत्ता में आए तो इस योजना को बंद कर देंगे, तो यह महिलाओं के लिए एक सीधी चुनौती बन गई. विरोधियों ने दावा किया कि सरकार पैसे देकर महिलाओं के वोट खरीदना चाहती है, लेकिन महाराष्ट्र की महिलाओं ने इन आरोपों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया.
विपक्षी दलों ने कई वीडियो और सामग्री फैलाकर यह दिखाने की कोशिश की कि महिलाएं इस योजना से खुश नहीं हैं. कुछ वीडियो में दिखाया गया कि महिलाएं कह रही हैं, “हमें 1500 रुपये नहीं चाहिए, सिलेंडर सस्ता करो”. लेकिन तब तक, महिलाओं के खातों में पैसे जमा हो चुके थे और उनका भरोसा सरकार पर मजबूत हो चुका था.
निष्कर्ष: महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
लड़की बहिन योजना ने यह साबित कर दिया कि जब सरकार का इरादा सही हो और जनता का समर्थन हो, तो कोई भी साजिश सफल नहीं हो सकती. यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को भी बढ़ा रही है.