गाजियाबाद, 3 मई . आधुनिक तकनीक के युग में अब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लेकर जिले में हो रहे अवैध निर्माणों पर सख्त नजर रखेगा. जीडीए ने इस दिशा में कदम उठाते हुए जियोट्रिक्स एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के साथ करार किया है, जिसके तहत सैटेलाइट इमेज और जियोट्रिक्स सॉफ्टवेयर की मदद से अवैध निर्माणों की पहचान की जाएगी.
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने जानकारी दी कि इस नई प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक तीन महीने में सेटेलाइट से दो इमेज प्राप्त की जाएंगी, जिनका मिलान एआई तकनीक से किया जाएगा. इन इमेजों के विश्लेषण के जरिए अगर किसी स्थान पर निर्माण में अंतर नजर आता है, तो सॉफ्टवेयर उसे चिन्हित कर नक्शे से मिलान करेगा. यदि पाया गया कि निर्माण प्राधिकरण की स्वीकृति या नियमों के विरुद्ध हुआ है, तो उसे अवैध घोषित किया जाएगा.
इस तकनीक के उपयोग से जीडीए के अधिकारियों को जमीन पर निरीक्षण करने की आवश्यकता कम हो जाएगी और उन्हें सही जानकारी जल्दी उपलब्ध हो सकेगी. इससे न केवल कार्रवाई में तेजी आएगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी. जीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस तकनीक के उपयोग की विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे वे सॉफ्टवेयर का प्रभावी ढंग से संचालन कर सकें.
अतुल वत्स ने बताया कि यह गाजियाबाद में पहली बार हो रहा है जब किसी सरकारी एजेंसी द्वारा अवैध निर्माणों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जियोस्पैशियल एनालिसिस का सहारा लिया जा रहा है. उम्मीद है कि इस पहल से न केवल अवैध निर्माणों पर रोक लगेगी, बल्कि शहर की नियोजित और व्यवस्थित विकास प्रक्रिया को भी गति मिलेगी. आने वाले समय में जीडीए इस प्रणाली को पूरी तरह से लागू कर देगा. तकनीक आधारित निगरानी प्रणाली के जरिए जहां भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, वहीं नागरिकों में भी जागरूकता आएगी कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अधिकृत स्वीकृति के बिना न किया जाए.
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पीकेटी/एएस