पटना, 19 मार्च बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष राकेश तिवारी का मानना है कि राज्य सरकार से दीर्घकालिक पट्टे पर मोइन-उल-हक स्टेडियम का अधिकार हासिल करना बिहार क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.
बीसीए ने बिहार सरकार से लंबी अवधि के पट्टे पर मोइन-उल-हक स्टेडियम का अधिग्रहण किया है. यह स्टेडियम वर्तमान में बिहार क्रिकेट टीम के लिए घरेलू मैदान के रूप में कार्य करता है और 1969 में अपनी स्थापना के बाद से नौ अंतरराष्ट्रीय मैचों का स्थल रहा है.
बीसीए प्रमुख ने 2000 में राज्य के विभाजन के बाद बिहार क्रिकेट के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया.
राकेश ने कहा, “यह हमारे लिए एक सपने के सच होने जैसा है. 2000 में बिहार राज्य के विभाजन के बाद से मुख्य बुनियादी ढांचा झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पास चला गया. केवल मोइन-उल-हक स्टेडियम हमारे पास था और वह भी बिहार सरकार के अधीन था.”
उन्होंने कहा, “यह बिहार राज्य द्वारा ही शासित था, हमें यह कभी भी पट्टे पर नहीं मिला था और हम इसका उपयोग करने के लिए पूरी तरह से बिहार सरकार की अनुमति पर निर्भर थे.”
तिवारी ने आगे कहा, “शुरुआत में, मोइन-उल-हक स्टेडियम फुटबॉल के लिए बना था. लेकिन जब हमने 2010 में अपनी कार्यवाही शुरू की, तो इसमें 8 साल लग गए और यह निर्णय लिया गया कि मोइन-उल-हक स्टेडियम को बिहार क्रिकेट को संचालन के लिए दिया जाएगा.”
उन्होंने कहा, “2018 से पहले, स्टेडियम का उपयोग स्कूलों द्वारा अपने वार्षिक समारोहों आदि के लिए भी किया जा सकता था, लेकिन 2018 के बाद इसे प्राथमिकता के आधार पर क्रिकेट गतिविधियों का संचालन करने के लिए हमें दे दिया गया. हम इसके लिए लगभग 50 हजार रुपये किराया देते थे.”
चुनौतियों के बावजूद, बीसीए अध्यक्ष और उनकी टीम अपने लक्ष्य पर दृढ़ रही. बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार की योजनाओं के साथ, स्टेडियम विश्व स्तरीय सुविधाओं के लिए तैयार है.
तिवारी ने कहा, “लेकिन मैं और बीसीए के पदाधिकारी प्रयास करते रहे और कभी उम्मीद नहीं खोई. हमारी कड़ी मेहनत का परिणाम आखिरकार बिहार सरकार से मोइन-उल-हक स्टेडियम को लंबी अवधि के पट्टे पर लेने में मिला और अब हम एक विश्व स्तरीय क्रिकेट कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बना रहे हैं. मुझे लगता है कि यह बिहार क्रिकेट के लिए निर्णायक मोड़ हो सकता है.”
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आरआर/