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New Delhi, 3 नवंबर . अश्वगंधारिष्ट आयुर्वेद का एक शानदार टॉनिक है, जिसे मानसिक, शारीरिक और यौन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना गया है. इसे आयुर्वेद का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि यह थकान, कमजोरी, मानसिक तनाव, अनिद्रा, स्नायु रोग और पुरुषों में वीर्य की कमी जैसी समस्याओं में मदद करता है.
यह सिर्फ एक औषधि नहीं बल्कि शरीर को ताकत और ऊर्जा देने वाला ओजवर्धक और बलवर्धक रसायन है.
इसका नाम ही इसके गुण को दर्शाता है. अश्वगंधा यानी वह औषधि जो घोड़े जैसी ताकत देती है. आयुर्वेदिक दृष्टि से यह वात और कफ को शांत करता है, अग्नि को मजबूत बनाता है और मांसपेशियों व स्नायु शक्ति को बढ़ाता है. इसका नियमित सेवन मानसिक तनाव कम करता है, अवसाद और अनिद्रा में राहत देता है, मसल्स को मजबूत बनाता है और शरीर की थकावट दूर करता है.
पुरुषों में यह प्रजनन स्वास्थ्य सुधारने और शुक्राणु दोषों को दूर करने में भी लाभकारी है. बुजुर्गों में यह स्मृति और स्नायु शक्ति बढ़ाने में मदद करता है, जबकि पतले और दुर्बल शरीर वालों के लिए वजन बढ़ाने में सहायक है.
अश्वगंधारिष्ट का निर्माण अश्वगंधा, मंजिष्ठा, हरड़, बहेड़ा, आंवला, अर्जुन छाल, वचा, शंखपुष्पी, यष्टिमधु, इलायची, लौंग, तेजपत्ता, गुड़ और धातकी पुष्प जैसी जड़ी-बूटियों से होता है. इसे घर पर बनाने के लिए सभी सूखे घटकों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है, फिर उसमें गुड़ और धातकी पुष्प मिलाकर 30 दिनों तक ढक्कन बंद रखकर किण्वित किया जाता है. तैयार अश्वगंधारिष्ट 6 महीने तक सुरक्षित रहता है.
सेवन की विधि सरल है. 15 से 25 मिली बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद दिन में दो बार लें. शुद्ध घी, दूध और पौष्टिक भोजन के साथ इसका सेवन और भी प्रभावी होता है. महिलाओं के लिए यह मानसिक तनाव और थकान कम करने में मदद करता है, पर गर्भवती महिलाएं केवल चिकित्सक की सलाह के बाद लें.
अश्वगंधारिष्ट केवल औषधि नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक जीवनशैली का हिस्सा है. यह शरीर को मजबूत, मस्तिष्क को शांत और संपूर्ण स्वास्थ्य को सशक्त बनाता है. थकावट, कमजोरी या मानसिक चिंता हो, यह आयुर्वेदिक रसायन हमेशा मददगार साबित होता है.
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पीआईएम/एबीएम