जेनएआई इस साल बना शीर्ष साइबर सुरक्षा खतरा

नई दिल्ली, 25 फरवरी . हैकर्स के नित नए तरीके अपनाने के बीच जेनरेटिव एआई (जेनएआई) इस साल साइबर सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है, क्योंकि साइबर अपराधी अपने हमलों को और पुख्ता बनाने के लिए चैटजीपीटी और जेमिनी एआई मॉडल अपना रहे हैं.

लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) हैकिंग क्षेत्र में एक नए व्यवधान की शुरुआत मात्र हैं.

गार्टनर के वरिष्ठ निदेशक विश्लेषक रिचर्ड एडिसकोट के अनुसार, “यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह जेनएआई के विकास की शुरुआत है, सुरक्षा संचालन और एप्लिकेशन सुरक्षा में हमने जो कई डेमो देखे हैं, वे वास्तविक उम्मीद जगाते हैं.”

सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम करने वाली प्रमुख कंपनियाँ जेनएआई प्रबंधन को एक नई चुनौती के रूप में स्वीकार कर रही हैं. साथ ही यह परिचालन स्तर पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपनी क्षमताओं का उपयोग करने का अवसर भी प्रदान करता है.

उन्होंने कहा, “जेनएआई की अपरिहार्य ताकत के बावजूद, नेता अपने नियंत्रण से बाहर अन्य बाहरी कारकों से भी जूझ रहे हैं, जिन्हें उन्हें इस साल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.”

पिछले महीने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, चार में से एक से अधिक संगठनों ने गोपनीयता और डेटा सुरक्षा जोखिमों को लेकर जेनएआई के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.

‘सिस्को 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी’ के अनुसार, अधिकांश कंपनियां डेटा गोपनीयता और सुरक्षा मुद्दों पर जेनरेटिव एआई (जेनएआई) के उपयोग को सीमित कर रही हैं और 27 प्रतिशत ने कम से कम अस्थायी रूप से इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.

शीर्ष चिंताओं में, व्यवसायों ने संगठन के कानूनी और बौद्धिक संपदा अधिकारों (69 प्रतिशत) के खतरों और जनता या प्रतिस्पर्धियों के सामने जानकारी के प्रकटीकरण के जोखिम (68 प्रतिशत) का हवाला दिया है.

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