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jaipur, 28 नवंबर . Rajasthan के पूर्व Chief Minister अशोक गहलोत ने एसआईआर प्रक्रिया को लेकर कहा कि इसका बेहद गलत असर पूरे देश पर पड़ रहा है. उनका कहना है कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग दबाव में आकर आत्महत्या तक करने लगे हैं. उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है और Government व चुनाव आयोग दोनों अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे.
से खास बातचीत में गहलोत ने सबसे पहले चुनाव आयोग पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आयोग या तो स्थिति समझ नहीं रहा, या फिर जानबूझकर अनदेखी कर रहा है. राहुल गांधी के साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, वह एकतरफा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का निष्पक्षता से हटना लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है, क्योंकि आजादी के बाद पहली बार उन्होंने ऐसा माहौल देखा है.
उनका कहना है कि जब Political दलों को चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद रहती है और वही संस्था पक्षपाती दिखने लगे, तो लोकतंत्र कमजोर पड़ने लगता है. उन्होंने साफ कहा कि ऐसे व्यक्ति को चुनाव आयोग में पद पर बने रहने का कोई हक नहीं और अगर Government सच में लोकतंत्र में विश्वास रखती है, तो उसे ऐसे व्यक्ति को हटाना चाहिए.
इसके बाद उन्होंने Rajasthan की मौजूदा Government पर भी सवाल उठाए. गहलोत ने कहा कि भजनलाल शर्मा Government की विश्वसनीयता शुरुआत में ही खत्म हो चुकी है. Government को लगभग दो साल हो गए, लेकिन उनके कार्यक्रमों में लोग आ ही नहीं रहे. चाहे खेलो इंडिया हो या कोई पर्यटन संबंधी कार्यक्रम, सभी जगह कुर्सियां खाली रहती हैं. गहलोत का कहना है कि यह साफ संकेत है कि जनता का भरोसा उठ चुका है, लेकिन Government इसे समझ नहीं रही. उन्होंने कहा कि बार-बार जनता की नापसंदगी के संकेत मिल रहे हैं, पर अगर Government नहीं समझेगी, तो आगे चलकर उन्हें ही नुकसान होगा.
उन्होंने पेंशन को लेकर भी बड़ा आरोप लगाया. गहलोत ने कहा कि बुजुर्ग महीनों से लाइन में लगे रहते हैं और किसी को छह–सात महीने से पेंशन नहीं मिली, तो किसी को दो–तीन महीने से. उनका कहना है कि पूरे प्रदेश में यही शिकायतें फैली हुई हैं. उन्होंने कहा कि Government की आपसी तालमेल की कमी भी बड़ा कारण है. Chief Minister कुछ और बोलते हैं, डिप्टी सीएम की भाषा अलग होती है और समन्वय मंत्री कुछ और कहते हैं. ऐसे में पेंशन कब मिलेगी, यह किसी को पता ही नहीं. ग्यारह सौ रुपये की पेंशन बुजुर्गों के लिए बहुत बड़ी रकम होती है और उसे न मिलना उनके जीवन पर सीधा असर डाल रहा है.
उन्होंने पीएम मोदी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें कहा गया था कि न्यूक्लियर सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोला जा रहा है. गहलोत ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए. तभी दोनों पक्षों की बात सामने आएगी. नीति क्या है, दुनिया का अनुभव क्या कहता है, और इस कदम का असल असर क्या होगा? उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ एक बयान आया है, इसलिए उस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. संसद में चर्चा के बाद ही स्पष्ट रूप से राय दी जा सकती है.
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पीआईएम/डीएससी