नई दिल्ली, 3 अक्टूबर . विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने दुर्गा पूजा के दौरान गरबा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. बजरंग दल ने कहा कि नवरात्रि के दौरान गरबा पंडालों में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होना चाहिए. कोशिश करें कि हिंदू संस्कृति के अनुसार वेशभूषा पहनकर ही गरबा में हिस्सा लें. यह भी तय हुआ कि आधार कार्ड चेक करने और तिलक लगाने के बाद ही कार्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा. इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने गुरुवार को प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने से बातचीत में कहा कि गरबा पंडाल में जो भी आ रहा है उसकी पहचान होनी चाहिए. आजकल अपराध की स्थिति, आतंकवाद और जिहादी उग्रवाद भी अपने चरम पर है. गरबा के आयोजन, मां दुर्गा पूजा पंडाल हो या कोई नवरात्रि उत्सव, ये सभी आस्था, विश्वास, भक्ति और समर्पण के उत्सव हैं. यहां आस्थावान लोग मां की पूजा करने जाते हैं. पूजा और आस्था के इस स्तंभ में गैर-धार्मिक लोगों को प्रवेश क्यों दिया जाना चाहिए? यह आयोजन मनोरंजन के लिए नहीं है, न ही यह कोई पर्यटन स्थल है, इसलिए आस्था के आयोजन को आस्थावानों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए. इसलिए बेहतर है कि पहले भी कई बार ऐसा देखा गया है कि चाहे लव जिहाद की घटना हो, महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं हों, महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं हों, महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं हों या माहौल खराब करने की साजिश हो, ऐसा कई बार देखने को मिला है. पिछले कुछ समय में समाज में चेतना जागृत हुई है कि सभी गैर-धार्मिक लोगों या किसी खास उद्देश्य से आने वालों को रोकना बहुत जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए अगर आधार कार्ड के जरिए पूजा पंडालों में एंट्री हो रही है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जो लव जिहादी हैं, वो कहते हैं कि उन्हें भी गरबा देखना है या डांडिया खेलना है तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन उन्हें अपनी मां-बहन-बेटियों के साथ वहां आने से कौन रोकता है. लेकिन वो अकेले आते हैं और फिर दूसरी चीजें करते हैं. ऐसा अब नहीं होने वाला है. हम बहुत साफ कह रहे हैं कि हम किसी भी अधार्मिक या किसी भी बुरे काम करने वाले को ऐसी आस्था के केंद्र में नहीं आने देंगे.
गैर हिंदुओं को गरबा पंडालों में जाने से रोकने के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप प्रवक्ता ने कहा कि गरबा पंडालों में जो भी जाए उसकी पहचान सार्वजनिक होनी चाहिए. साथ ही सभी को अपनी पहचान दिखानी चाहिए. जब भी हम कहीं जाते हैं तो हमारे पहचान पत्र चेक किए जाते हैं, चाहे वो सरकारी कार्यक्रम हो या निजी कार्यक्रम. खासकर जब आस्था के ऐसे आयोजन होते हैं तो इससे किसी को क्यों परहेज होना चाहिए? आप अपनी पहचान क्यों छिपाना चाहते हैं? आप अपनी पहचान दिखाकर खुलेआम क्यों नहीं जाना चाहते हैं? ऐसे आस्था और विश्वास के केंद्रों पर जिहादी अकेले क्यों जाते हैं? अगर वो अपनी मां, बहन या बेटी के साथ जाता है तो कोई दिक्कत नहीं है, वो भी जा सकता है, लेकिन उसके लिए आस्था होनी चाहिए. वहां जाने के बाद तिलक लगाया जा रहा है. मां दुर्गा के दरबार में माथा टेक रहे हैं. ये लोग इन सब बातों को नजरअंदाज करके मनोरंजन स्थल पर जाते हैं जहां डांडिया खेला जा रहा है, गरबा खेला जा रहा है. ये अब नहीं चलने वाला है.
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आरके/जीकेटी