गणपतिपुले मंदिर : यहां के गणपति ‘पश्चिम द्वार के देवता’, 14वीं सदी में स्वयं प्रकट हुई थी मूर्ति

नई दिल्ली, 12 सितंबर . महाराष्ट्र के कोंकण तट पर रत्नागिरी जिले में स्थित भगवान गणपति का भव्य गणपतिपुले मंदिर अपने आप में बेहद खास है. यह देश में मौजूद भगवान गणेश के अन्य मंदिरों से थोड़ा अलग है. मान्यता है कि यहां भगवान की मूर्ति अपने-आप ही प्रकट हुई है. इसके अलावा यहां भगवान का मुख दूसरी दिशा में है.

कहा जाता है कि प्राचीन मंदिर 14वीं शताब्दी का है, जहां भगवान गणपति की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी. बात अगर इसकी संरचना की करें तो 17वीं शताब्दी में इसका भवन तैयार किया गया था.

यहां दुनियाभर से श्रद्धालु गणपति के दर्शन करने आते हैं, यह मंदिर अपने आप में इसलिए भी खास है क्योंकि यह समुद्र के शांत वातावरण के करीब है.

इस मंदिर के बारे में ऐसी कथाएं हैं कि भगवान गणेश एक बार अपने भक्त के स्वप्न में आए और मंदिर स्थापना का आदेश दिया. उस भक्त ने समुद्र तट पर भगवान गणपति जी के मंदिर का निर्माण करवाया.

भक्ति से इतर यहां का सुरम्‍य नजारा भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है.

इस मंदिर की एक खास बात जो इसे देश में मौजूद अन्‍य गणपति मंदिरों से अलग करती है, वह है यहां मौजूद भगवान की मूर्ति का मुख, जो पश्चिम की ओर है. इसे भारत के ‘अष्ट गणपतियों’ में से एक ‘पश्चिम द्वार देवता’ माना जाता है. गणपति जी की मूर्ति के बारे में बात करें तो यह लगभग 400 साल पुरानी बताई जाती है.

मंदिर से जुड़ी एक कथा बेहद प्रचलित है, जिसे आपको जरूर पता होनी चहिए. एक ब्राह्मण काफी समय से परेशान था. वह दिन-रात भगवान की भक्ति में लगा रहता था. एक दिन भगवान गणेश खुद उसके सपने में आए और अपने लिए मंदिर बनाने की इच्‍छा जाहिर की. उसी समय की बात है, एक गाय दूध नहीं दे रही थी, जिस कारण उसके मालिक ने उस पर नजर रखना शुरू कर दिया. उसने देखा कि गाय रोजाना अपना दूध उस स्थान पर अर्पित करती है, जहां आज भगवान की मूर्ति है.

अगर आप भी मंदिर में दर्शन करने का मन बना रहे हैं तो आप गणपतिपुले मंदिर के अलावा यहां श्री महाकाली मंदिर, श्री कनकादित्य मंदिर, श्री लक्ष्मी-केशव मंदिर, श्री वेलनेश्वर मंदिर, श्री जरी विनायक मंदिर, श्री क्षेत्र, परशुराम करहटेश्वर मंदिर, धूत पापेश्वर मंदिर, श्री उमा महेश्वर मंदिर, हेडवी श्री स्वामी स्वरूपानंद तीर्थ मंदिर में जाकर भी भगवान का आशीर्वाद ले सकते हैं.

गणपतिपुले मंदिर में साल भर में अनेक तरह के त्‍योहार मनाए जाते हैं, जिनमें दीपोत्सव, दशहरा, भाद्रपद उत्सव, वसंत पूजा, माघ उत्सव और भगवान की पालकी यात्रा शामिल है.

दर्शन के समय की बात करें तो यहां रोजाना सुबह 5:00 से रात 9:30 बजे निःशुल्क दर्शन किए जा सकते हैं. इसके अलावा सुबह की आरती 5:00 से लेकर 5:30 बजे तक होती है. इसके बाद भगवान की दोपहर की आरती 12:00 से 12:30 बजे तक होती है. इसके बाद शाम की आरती का समय 7:00 से शाम 7:30 बजे तक है. यहां मंदिर की ओर से खिचड़ी प्रसाद का भी प्रंबंध है, जो दोपहर 12:00 से 2:00 बजे तक मिलता है.

यहां भक्‍त ट्रेन, बस और हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं. यहां पास में रत्नागिरी रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से 30 किमी दूर है. यहां का नजदीकी एयरपोर्ट मुंबई है, यहां से गणपतिपुले मंदिर की दूरी 354 किमी है. अगर बस से यात्रा करना चाहते हैं तो गणपतिपुले जाने के लिए सड़कें और राजमार्ग प्रमुख शहरों से जुड़े हैं.

एमकेएस/एबीएम