रांची, 11 मार्च . झारखंड के पलामू में मारा गया कुख्यात गैंगस्टर 30 वर्षीय अमन साहू पिछले एक दशक से आतंक का पर्याय बना हुआ था. मात्र 17-18 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले एक छोटे से गांव के इस युवक ने झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार और अन्य राज्यों में भी आतंक के नेटवर्क का विस्तार कर रखा था. 150 से भी ज्यादा आपराधिक वारदातों में अमन का नाम आया था.
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से भी उसके गहरे संबंध थे. दुबली-पतली काया वाले 30 वर्षीय अमन को पहली नजर में देखकर अंदाज लगाना मुश्किल था कि उसके नाम पर आने वाले कॉल से राज्य के कारोबारी, बिल्डर्स और ठेकेदार दहशत में आ जाते थे.
अमन मूल रूप से रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला था. पुलिस ने एक केस में उसके बारे में कोर्ट में जो ब्योरा पेश किया है, उसके मुताबिक, उसका जन्म 1995 में हुआ था. उसने 2010 में मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की थी और इसके बाद पंजाब के मोहाली से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया था.
अपराध की दुनिया से उसका नाता तब हुआ, जब पंजाब से लौटने पर वह 2012 में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह के संपर्क में आया. वह इस संगठन में शामिल होकर आपराधिक घटनाएं अंजाम देने लगा. हालांकि, इसके पहले उसने कुछ महीनों तक रामगढ़ जिले के पतरातू में एक दुकान में मोबाइल रिपेयरिंग का काम किया. 2013 में उसने अपना गैंग बनाया और लूट, रंगदारी जैसी घटनाएं अंजाम देने लगा.
2015 में वह पहली बार जेल गया था, जहां वह गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के संपर्क में आया. जेल में रहते हुए उसके आपराधिक कनेक्शन का विस्तार हुआ. जमानत पर बाहर आने के बाद उसने कई आधुनिक हथियार जुटाए. वर्ष 2019 में उसे हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाने की पुलिस ने एक झामुमो नेता की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था.
28-29 सितंबर 2019 की रात अमन रहस्यमय तरीके से बड़कागांव थाने से फरार हो गया था. बाद में वर्ष 2020 में रांची के तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र झा की स्पेशल टीम ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इसके बाद अमन जेल से ही गैंग ऑपरेट करने लगा. पिछले तीन-चार वर्षों में शायद ही कोई महीना गुजरा हो, जब हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी, थ्रेट कॉल की घटनाओं में अमन और उसके गुर्गों का नाम नहीं आया हो. कंस्ट्रक्शन कंपनियां, रियल इस्टेट कारोबारी, ठेकेदार, बड़े कारोबारी उसके निशाने पर होते थे.
आपराधिक घटनाओं में लगातार उसका नाम सामने आने की वजह से उसे पिछले तीन साल में 10 से ज्यादा बार एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किया गया था. इसके बावजूद उसके आतंक का नेटवर्क और बढ़ता जा रहा था. अमन ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बंदी पत्र लिखकर दावा किया था कि उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है. उसने आरोप लगाया था कि साजिश में पुलिस अफसर, कोयला माफिया व राजनेता शामिल हैं. साजिश के तहत उसे एक से दूसरी जेल में शिफ्ट किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में कारोबारियों के शोरूम पर गोलीबारी और लूटपाट की घटनाओं में अमन गैंग का नाम सामने आने के बाद वहां की पुलिस 14 अक्टूबर, 2024 को उसे प्रोडक्शन वारंट पर झारखंड से रायपुर ले गई थी, तभी से वह रायपुर जेल में बंद था. तीन दिन पहले रांची में कोल ट्रांसपोर्टर बिपिन मिश्रा पर फायरिंग की घटना की जिम्मेदारी अमन साहू के गैंग ने ली थी. अमन के सबसे खास गुर्गे मयंक सिंह ने इसे लेकर बाकायदा सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला था. अमन के नाम पर फेसबुक पर दो-तीन अकाउंट चलते थे, जिसमें हथियारों के साथ उसकी तस्वीरें पोस्ट की जाती थीं.
अमन साहू दो मामलों में अदालत से सजायाफ्ता था. झारखंड के रामगढ़ के एक आपराधिक मामले में उसे छह साल और लातेहार के एक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी. झारखंड पुलिस ने उसे हाल में अंजाम दी गई घटनाओं के संबंध में पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था. पुलिस की टीम उसे सोमवार की रात रायपुर से रांची लेकर आ रही थी.
बताया गया कि रायपुर से रांची के रास्ते में चैनपुर थाना क्षेत्र के अंधारी ढोढा नामक जगह पर अमन के गैंग ने पुलिस की गाड़ी पर बम से हमला किया. इससे पुलिस की गाड़ी असंतुलित हो गई. पुलिस का दावा है कि अमन साहू ने मौके का फायदा उठाने की कोशिश की और पुलिस का हथियार छीन कर भागने लगा. पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया तो उसने फायरिंग कर दी. जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें अमन साहू मारा गया.
शनिवार को हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम (डिस्पैच) कुमार गौरव हत्याकांड में भी पुलिस को अमन साहू गैंग का हाथ होने का संदेह था. इन दोनों मामलों में पुलिस उससे पूछताछ करना चाहती थी. सोमवार को डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा था कि अमन साहू जैसे गैंगस्टर जेल से ही आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि ये लोग वर्चुअल विदेशी नंबरों से थ्रेट कॉल करते हैं.
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एसएनसी/एबीएम