अयोध्या, 12 मार्च . महाराष्ट्र के दिवंगत संत मोहन महाराज काठले के शिष्य पराग जोशी ने उनके खड़ाऊं को अयोध्या स्थित रामलला के दर्शन कराए. इस दौरान त्रेता युग के भरत की यादें ताजा हो गई.
शिष्य पराग महाराज जोशी ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन में हमारे गुरु मोहन महाराज का बहुत योगदान था. उनकी इच्छा थी कि वह अपने रहते रामलला के दर्शन करें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. उनका शरीर शांत हो गया. ऐसे में उनके द्वारा निर्मित ट्रस्ट सद्गुरु सेवा के सदस्यों ने उनकी चरण पादुका को दर्शन कराने की ठानी, जो आज पूरी हो गई.
उन्होंने बताया कि ढांचा ढहने के दौरान अयोध्या कार सेवा में शामिल रहे संत मोहन महाराज काठले का शरीर प्राण-प्रतिष्ठा से पहले शांत हो गया. अपने मूल स्थान पर विराजमान श्री रामलला के दर्शन की अभिलाषा लिए ही वे दुनिया से चले गए. उनका संकल्प था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा, वे केवल एक वस्त्र धारण करेंगे. अंतिम सांस तक भागवतभूषण ब्रह्मचारी संत मोहन महाराज ने अपना संकल्प निभाया. उनकी उत्कट अभिलाषा का ध्यान रखते हुए हम लोगों ने श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी चरण पादुका को दर्शन कराए.
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विकेटी/एबीएम