हाउस वाइफ नहीं, आज से अपने को हाउस मैनेजर कहें

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर . ”बिजली चमकती है तो आकाश बदल देती है, आंधी उठती है तो दिन रात बदल देती है, जब गरजती है नारी शक्ति तो इतिहास बदल देती है’’ यह लाइनें महिला शक्ति को बयां करने के लिए काफी है.

आज की महिला समझदार और आत्मनिर्भर है. आत्मनिर्भर शब्‍द सुनते ही हमारे दिमाग में जो एक तस्‍वीर बनती है वह आर्थिक रूप और समाजिक रूप से मजबूत महिला की होती है. अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आज ही से आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है. तो आज ही से इस सोच को बदलते हुए आप खुद को आत्मनिर्भर कैसे बना सकती हैं, इसके बारे में जरूर सोचिए.

ऐसा नहीं है कि एक ज्‍यादा पढ़ी लिखी महिला को ही आत्‍मनिर्भर होने का तमगा मिले. कम पढ़ी लिखी महिलाएं जो घर संभालती है, जिन्‍हें हम हाउस वाइफ कहते हैं, वह भी आत्‍मनिर्भर होने की राह पर बड़ी ही आसानी से निकल सकती हैं.

हाउस वाइफ अक्सर यही सोचती रहती है कि वह आखिर कर क्‍या सकती है, जिससे वह समाज की मुख्‍यधारा से जुड़ सके. आज हम आपको एक ऐसे महिला के बारे में बताएंगे जिनकी बातें सुनकर आप अपने भीतर आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाकर बदलाव ला सकती हैं.

सबसे पहले जरूरी है कि एक महिला अपने बारे में सोचे अपने शौक के लिए समय निकाले. एक महिला पूरा घर संभालती है, पर समाज फिर भी उसे उस नजर से नहीं देखता जैसे उसे देखना चाहिए. आप समाज की सोच नहीं बदल सकते, पर आप अपने आप को तो बदल सकते हैं. तो आज से आप किसी को भी अपना परिचय दें, तो कॉन्फिडेंस से कहें कि मैं हाउस मैनेजर हूं, यकीन मानिए जो महिला अपने घर को संभाल सकती है वह कुछ भी करने की ताकत रखती है.

महिलाओं को चहिए कि वह थोड़ा बहुत सोशल होना शुरू कर दे. आजकल सोशल मीडिया का जमाना है, महिलाएं घंटों मोबाइल पर बिता देती है, हाथ क्या लगता है? कुछ नहीं. महिलाओं को चहिए कि वह स्‍क्रीन से बाहर निकलकर समाज में क्‍या कुछ चल रहा है इस पर ध्‍यान दे. ऐसी चर्चाओं में शामिल हो जो आपको दिमागी तौर से और मजबूत बना सके.

आप घर पर रहकर भी अपने परिवार की अर्थिक मदद कर सकती हैं. हर महिला में कोई न कोई हुनर होता है. आप उसी हुनर को अपने शौक में बदलकर आमदनी का एक जरिया बना सकती हैं. आप अपने 24 घंटों में से कुछ घंटे निकालकर घर को संभालने के साथ अपने सपने भी पूरा कर सकती हैं.

ऐसी ही महिला से ने बात की जो घर और बच्‍चों को संभालने के साथ अपने शौक के जरिए अपने परिवार को आर्थिक मदद भी कर रही हैं.

ने वान्या यार्न डिजाइन की संस्थापक और क्रोशिया कलाकार श्वेता कुमारी से बात की.

श्वेता कुमारी ने बताया, ”आप सोच रहे होंगे कि मैं अपने आप को हाउस मैनेजर क्‍यों कह रही हूं, क्‍योंकि मैं अपने घर और अपने बच्‍चों को संभालने के साथ अपने शौक को भी पूरा करती हूं. मैं घर से ही एक छोटा सा क्रोशिया का बिजनेस चलाती हूं. मैंने घर के काम के सा‍थ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा है.”

आगे उन्होंने कहा, ” मैं अपने घर के काम के साथ अपने बिजनेस को भी अच्छे से मैनेज करती हूं. मुझे खुशी होती है कि मैं अपने सभी रोल में फिट बैठती हूं. कभी-कभी ऐसा देखने को मिलता है कि कई बार महिलाएं घर के कामों में इतना उलझ जाती है कि वह अपने सपने तक भूल जाती हैं.”

अन्‍य महिलाओं को मैसेज देते हुए उन्‍होंने कहा, ”अपने पैशन को पूरा करने के लिए टाइम को मैनेज करना सीखें, जिससे आप भी अपने सपनों को पंख लगा सकें.”

एमकेएस/जीकेटी