नई दिल्ली, 13 अप्रैल . पिछले कुछ दशकों में देश की विकास गति को लेकर केंद्र और विपक्ष के बीच विवाद हो सकता है, लेकिन इस तथ्य को नकारा नहीं किया जा सकता कि 2014 से 2024 तक मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण तेजी आई है.
पिछले दस वर्षों में अर्थव्यवस्था न केवल दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है, बल्कि अगले कुछ वर्षों में शीर्ष तीन में शामिल होने की उम्मीद है. आर्थिक संकेतकों ने उल्लेखनीय उछाल दिखाया है, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि और निर्यात में मजबूत वृद्धि देखी गई है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार और एफडीआई में भी पिछले दस वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
विपक्षी दल हालांकि संख्या को लेकर असहमत हैं और सरकार समर्थक विमर्श बनाने के लिए सत्तारूढ़ दल द्वारा आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप लगाते हैं. हालांकि, 2014 से 2024 तक के ‘विकास आंकड़ों’ के विश्लेषण से पता चलता है कि मोदी सरकार के तहत पिछले दस वर्षों में अर्थव्यवस्था ने कैसे प्रगति की.
2014 और 2024 के बीच वृद्धि का ये है डेटा :
2014 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.6 फीसदी रही, जो 2024 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 8.4 फीसदी हो गई. वित्तवर्ष 2014 में निर्यात 466 अरब डॉलर था जो वित्तवर्ष 2023 में बढ़कर 776 अरब डॉलर हो गया.
वित्तवर्ष 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) क्रमशः 303 अरब डॉलर और 36 अरब डॉलर था. दोनों नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए और 10 वर्षों में दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर क्रमशः 645 अरब डॉलर और 83.5 अरब डॉलर हो गए.
पिछले दस वर्षों में मुद्रास्फीति और चालू खाता घाटा, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक क्रमशः 8.7 फीसदी और 5.1 फीसदी से घटकर 4.8 फीसदी और 1.2 फीसदी हो गए हैं.
ब्याज दरों से संबंधित डेटा का अन्य सेट यह भी दिखाता है कि दरों में महत्वपूर्ण गिरावट से आम आदमी को कैसे फायदा हुआ.
आंकड़ों के मुताबिक, शिक्षा ऋण जो 2014 में 14.25 फीसदी था, वह अब घटकर 8.15 फीसदी हो गया है. हाउस लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन जैसे सभी लोन में पिछले 10 वर्षों में गिरावट आई है.
2014 से पहले हाउस लोन और ऑटो लोन 10 फीसदी से काफी ऊपर थे, लेकिन आज वे 7-8 फीसदी के दायरे में हैं. 2014 के दौरान पर्सनल लोन 14.25 फीसदी था और अब घटकर 10.50 फीसदी के आसपास रह गया है.
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एसजीके/