अयोध्या : तीर्थ से टेक-स्मार्ट नगरी तक, आठ आयामों पर खड़ा नया रामनगरी मॉडल

अयोध्या, 25 नवंबर . अयोध्या आज उस दोराहे पर खड़ी है, जहां सप्त पुरियों में प्रथम पुरी की आध्यात्मिक गरिमा और इक्कीसवीं सदी के अत्याधुनिक शहर की जरूरतें एक साथ नई शक्ल ले रही हैं. विजन-2031 के तहत इसे वैश्विक आध्यात्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की समग्र एवं दीर्घकालिक योजना चल रही है, जिसमें कनेक्टिविटी, स्वच्छ–सुंदर बुनियादी ढांचा, सांस्कृतिक संरक्षण और तकनीक आधारित सेवाएं आठ प्रमुख आयामों के जरिए आकार पा रही हैं.

ट्रस्ट और विभागों के अधिकारियों ने बताया कि पहला आयाम है सुगम्य अयोध्या. लगभग 821 एकड़ में फैला महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 2200 मीटर लंबे रनवे और अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम के साथ बड़े विमानों के संचालन के लिए तैयार है तथा आगे के चरणों में विस्तार का काम जारी है, जिससे करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए वायु मार्ग पूरी तरह खुल रहा है.

अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का कायाकल्प कर इसे जी+2 भवन, 6 प्लेटफॉर्म और करीब 50,000 यात्रियों की क्षमता वाले आधुनिक टर्मिनल में बदला गया है, जहां अमृत India और वंदे India जैसी प्रीमियम ट्रेनें भी रुक रही हैं. शहर के भीतर राम पथ, भक्ति पथ, श्रीराम जन्मभूमि पथ और चार लेन वाला धर्म पथ जैसी परियोजनाओं ने सहादतगंज से नयाघाट और लता मंगेशकर चौक से Lucknow-गोरखपुर मार्ग तक की यात्रा को चौड़े मार्गों, यूटिलिटी डक्ट, बस बे, पैदल पथ, विंटेज लाइटिंग और रामायण प्रसंगों से सजे वॉल म्यूरल के साथ अधिक सुगम और अनुभवात्मक बना दिया है.

दूसरा आयाम है- आधुनिक अयोध्या. 133 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए तैयार जीआईएस आधारित मास्टर प्लान-2031 को ऑनलाइन भवन नक्शा पासिंग प्रणाली से जोड़ा जा रहा है, जिससे योजनाबद्ध शहरीकरण की नींव मजबूत हो रही है. राज्य स्मार्ट सिटी योजना के तहत 22 प्रमुख चौराहों पर रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन और एडैप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि नगर निगम क्षेत्र में पब्लिक एड्रेस सिस्टम और हनुमानगढ़ी, नयाघाट, रेलवे स्टेशन व गुप्तार घाट पर वाईफाई जोन आगंतुकों के लिए सुरक्षित और डिजिटल-फ्रेंडली माहौल तैयार कर रहे हैं. एआर/वीआर आधारित 3डी मेटावर्स के जरिए वर्चुअल रामायण कथा और अयोध्या दर्शन उपलब्ध कराने वाले अनुभव केंद्र की पहल यह संकेत देती है कि यह पारंपरिक तीर्थ भी नई तकनीक को आत्मसात कर रहा है.

तीसरा आयाम, स्वच्छ अयोध्या, स्वच्छ सरयू और स्वच्छ गलियों की परिकल्पना को साकार करने पर केंद्रित है. रामघाट स्थित 12 एमएलडी एसटीपी में 6 एमएलडी अतिरिक्त क्षमता जोड़कर सीवेज प्रबंधन को भविष्य की आबादी के अनुरूप बढ़ाया जा रहा है, जबकि 15 वार्डों की 181 गलियों में जलापूर्ति, जल निकासी, सड़क और नाली निर्माण के कार्य पूरे किए गए हैं. पांच सार्वजनिक शौचालय-यूटिलिटी केंद्र, एनिमल बर्थ कंट्रोल के तहत कुत्तों की नसबंदी और छुट्टा पशु प्रबंधन, साथ ही 10 पारंपरिक क्रिमेशन चेंबरों के नवीनीकरण के साथ 2 इलेक्ट्रिक और 2 ग्रीन क्रिमेशन चैंबरों का निर्माण आस्था और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन साधने की कोशिश है.

चौथा आयाम है सुरम्य अयोध्या. गुप्तार घाट पर 24 मीटर चौड़ी सड़क, पार्किंग, कियोस्क और सार्वजनिक अवकाश स्थलों के विकास ने इसे जल पर्यटन, वॉटर स्पोर्ट्स और साहसिक गतिविधियों के नए केंद्र के रूप में उभारा है, जबकि राम की पैड़ी और नयाघाट का सौंदर्यीकरण, पत्थर की 32 छतरियों, 11 स्तंभों और 60 इंटरप्रिटेशन वॉल के साथ सरयू तट को दिव्य स्वरूप दे रहा है. शहर भर में एलिवेटेड बैकलाइट ‘अयोध्या लोगो’, देवताओं के वाहनों की 12 कॉर्टन स्टील मूर्तियां और दशरथ महल, सूर्यकुंड आदि पर फसाड लाइटिंग, साथ ही 75 स्थलों पर 15,000 पौधों और मियावाकी वन के विकास ने अयोध्या की ब्रांड–पहचान को नयी दृश्य भाषा दी है.

पांचवां आयाम, सांस्कृतिक अयोध्या, रामायणकालीन लोकआस्था और सनातन विरासत के संरक्षण पर बल देता है. चयनित ऐतिहासिक स्थलों पर सरफेस सुधार और भित्ति चित्रों के माध्यम से पुनरुद्धार हो रहा है, जबकि श्रीराम हेरिटेज वॉक के तहत 81 दीवारों पर रचे गए 162 म्यूरल श्रद्धालुओं को रामकथा की सतत झांकी दिखाते हैं. धर्म पथ का भव्य प्रवेश द्वार, रामायण थीम पर आधारित मिरर मेज, कोरिया की महारानी हियो ह्वांग-ओक को समर्पित क्वीन हो मेमोरियल पार्क का जीर्णोद्धार, रामकथा पार्क का सौंदर्यीकरण और अयोध्या शोध संस्थान को अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के रूप में उन्नत करने की प्रक्रिया अयोध्या को वैश्विक सांस्कृतिक संदर्भ में स्थापित कर रही है.

छठा आयाम है आध्यात्मिक अयोध्या. पंचकोसी और चौदह कोसी परिक्रमा मार्गों के 24 प्रमुख स्थलों पर विश्राम गृह, शौचालय, पेयजल, खान-पान की दुकानों और प्रवेश द्वारों का विकास तीर्थयात्रियों की सुविधा बढ़ा रहा है, जबकि 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर बुनियादी ढांचा सुदृढ़ किया गया है. 84 कोसी परिक्रमा से जुड़े दशरथ समाधि स्थल, भरतकुंड, जानमजेय कुंड सहित 8 प्रमुख कुण्डों का विकास और संत रविदास मंदिर परिसर का संरक्षण आध्यात्मिकता के साथ सामाजिक समरसता के संदेश को भी मजबूत करता है.

सातवें आयाम, सक्षम अयोध्या, के तहत एनएच–28 किनारे 20 सुइट कक्षों और 60-70 लोगों की क्षमता वाले मीटिंग हॉल का निर्माण, 49 विद्यालयों का नवीनीकरण, चार समग्र विद्यालयों का पुनर्निर्माण और आईटीआई की स्थापना भविष्य की मानवीय पूंजी और प्रशासनिक क्षमता को आधार दे रहे हैं. अरुंधति पार्किंग-व्यावसायिक संकुल में 36 दुकानें, कार्यालय, 240 कार पार्किंग, 180 बेड की डॉरमेट्री, फूड कोर्ट और ऑनलाइन पार्किंग सिस्टम पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था को संरचना दे रहे हैं.

आठवां आयाम है आयुष्मान अयोध्या. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में शैक्षणिक भवन और ओपीडी ब्लॉक का निर्माण, राजर्षि दशरथ स्वशासी मेडिकल कॉलेज की स्थापना, कुमारगंज में 100 शैय्या और मिल्कीपुर में 50 शैय्या वाले अस्पताल न केवल स्थानीय नागरिकों बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी स्वास्थ्य सुरक्षा का नया भरोसा बन रहे हैं. इन आठों आयामों के साथ अयोध्या एक ऐसे मॉडल शहर के रूप में उभर रही है, जहां विरासत और विकास, दोनों साथ-साथ सांस लेते दिखते हैं.

विकेटी/एसके