नई दिल्ली, 22 मार्च . भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने बिहार की खराब स्थिति के लिए पूर्व की लालू सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बिहार में 1990 से 2005 तक एक ऐसा शासन आया, जिसने बिहार को 1947 की स्थिति में पहुंचाने का काम किया.
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने से बात करते हुए कहा, “बिहार के लिए आज बहुत ही खुशी का दिन है. मैं बताना चाहूंगा कि ओडिशा से अलग होकर बिहार बना था और विगत वर्षों में बिहार तरक्की कर रहा है. लेकिन, हमारे साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह रहा है कि कभी बिहार और उत्तर प्रदेश इस देश के सबसे ज्यादा विकसित हिस्से थे. पहले मुगलों ने और फिर अंग्रेजों ने सिस्टेमेटिक ढंग से इन प्रदेशों को खत्म किया. बिहार के साथ सबसे बड़ी ट्रेजेडी यह रही कि 1990 से 2005 तक एक ऐसा शासन आया, जिसने बिहार को 1947 की स्थिति में पहुंचा दिया. बिहार केवल हत्या और अपहरण के लिए ही जाना जाता था.”
उन्होंने आगे कहा, “नीतीश कुमार के समय में बिहार पुनः वापस तरक्की के रास्ते पर है और जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी का सहयोग मिल रहा है, मुझे उम्मीद है कि बिहार जल्द ही नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा.”
संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “अगर इस राजनीति में कोई सबसे अयोग्य है, तो वह तेजस्वी यादव हैं, जिनके पिता और माता दोनों मुख्यमंत्री थे और उनके पिता पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे. वह लड़का अगर 10वीं भी पास नहीं कर पाया है तो उससे अधिक अयोग्य कौन होगा.”
उन्होंने तनिष्क शोरूम लूट कांड का जिक्र करते हुए कहा, “बिहार में जब भी अपराध हुआ तो उसे पकड़कर सजा दिलाई गई है. शुक्रवार रात को तनिष्क शोरूम लूट कांड को सुलझाया गया है और उसके अपराधी का भी एनकाउंटर किया गया है. उनके (विपक्ष) राज में यह जरूर होता था कि न पुलिस एफआईआर करती थी और न ही किसी की हिम्मत होती थी. आज जो भी अपराध करता है, उसे सजा निश्चित तौर पर मिलती है.”
संजय जायसवाल ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “एमके स्टालिन अच्छी तरह से जानते हैं कि वो चुनाव हार रहे हैं, जो भी विकास हुआ है, वो एमजी रामचंद्रन और जयललिता के समय में हुआ है. आज तमिलनाडु में जो सरकार है, उसके खिलाफ जनता में आक्रोश है. उसी आक्रोश को बांटने के लिए वह जनता का ध्यान विकास पर नहीं जाए, इसके लिए वह कभी भाषा का मुद्दा उठाते हैं तो कभी परिसीमन का मुद्दा उठाते हैं. अभी जनगणना शुरू भी नहीं हुई है, तो इस समय परिसीमन की बात करना बताता है कि केवल इसको चुनाव के हथियार के रूप में उपयोग करना चाहते हैं. मुझे लगता है कि वह सिर्फ चुनाव की वजह से मुद्दे को तूल दे रहे हैं.”
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एफएम/एएस