नई दिल्ली, 6 फरवरी . कई बार कुछ लोगों को ज्यादा पेशाब आता है, लेकिन लोग इसे सामान्य प्रक्रिया मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. उन्हें लगता है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लिहाजा इस पर किसी भी प्रकार से ध्यान देने की जरूरत नहीं है, लेकिन चिकित्सकों की मानें तो अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसके गंभीर नतीजे निकलकर सामने आ सकते हैं.
वहीं, बार-बार पेशाब आने की समस्या पर ने फोर्टिस अस्पताल के यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डॉ. परेश जैन से खास बातचीत की. उन्होंने इस बीमारी के बारे में विस्तार से बताया कि आखिर ऐसा किन कारणों से ऐसा होता है और ऐसी स्थिति में हमें कौन से कदम उठाने चाहिए.
डॉ. परेश जैन बताते हैं कि बार-बार पेशाब आने के पीछे एक नहीं, अनेक कारण हैं, लेकिन सबसे प्रमुख ओवर एक्टिव ब्लेडर है. इसमें मरीज में बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है. इसके अलावा, डायबिटीज, पेशाब में इन्फेक्शन, डायबिटीज मलाइटेज, डायबिटीज इनसिपिटेज में मरीज में बार-बार पेशाब आने की समस्या देखने को मिलती है. इसके अलावा, कई बार जब मरीज पेशाब बनाने की दवा खाते हैं, तो ऐसी स्थिति में उनमें बार-बार पेशाब आने की समस्या देखने को मिलती है.
डॉ. बताते हैं कि इसके अलावा महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान भी पेशाब की बारंबारता बढ़ जाती है. पुरुषों में 50 साल की उम्र के बाद पेशाब ज्यादा होने की समस्या देखने को मिलती है. इसके साथ ही कुछ लोगों को ज्यादा पानी पीने की आदत होती है, तो ऐसी स्थिति में भी उन्हें कई बार पेशाब करने जाना होता है.
डॉ. के मुताबिक इसके साथ ही तनाव की स्थिति में भी व्यक्ति को कई बार पेशाब आ सकता है. इसके अलावा, स्ट्रोक में भी पेशाब की बारंबारता बढ़ जाती है.
डॉ. जैन बताते हैं कि अगर किसी को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ रहा है, तो ऐसी स्थिति में उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर इससे संबंधित कुछ टेस्ट करेंगे, जिससे मरीज की बीमारी के बारे में पता चल सकेगा.
डॉ. ने कहा कि आमतौर पर किसी शख्स को दिन में पांच से छह बार पेशाब आना चाहिए. कई बार पेशाब आना कई प्रकार की चीजों पर निर्भर करता है, जैसे उनका आहार कैसा है, वो दिन में कितनी बार पानी पी रहा है.
डॉ. बताते हैं कि कुछ लोगों के पेशाब का रंग पीला भी हो जाता है. ऐसा आमतौर डिहाइड्रेशन और जॉन्डिस में होता है.
–
एसएचके/