नई दिल्ली, 18 जुलाई . एक शोध में यह बात सामने आई है कि अंडों को फ्रीज करने की सफलता की दर सामान्य इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी ही है.
अन्य देशों में अण्डों को फ्रीज करने के संबंध में किए शोधाें की तुलना में एक और शोध किया गया. यह नया शोध 30,000 फ्रीज किए गए अण्डों पर आधारित था, जिन पर 15 सालों तक अध्ययन किया गया.
15 साल के अध्ययन निष्कर्षों से पता चला कि प्रति भ्रूण स्थानांतरण में कुल जीवित जन्म दर 26 प्रतिशत थी. ये अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन में प्रकाशित की गई.
यह दर महिला की उम्र पर निर्भर करता है. देखा गया कि 35 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं में यह दर कम थी, वहीं 40 वर्ष से अधिक आयु वालों में यह दर केवल 5 प्रतिशत थी.
अध्ययन के अनुसार पिघले हुए अण्डों से विकसित सभी भ्रूणों को स्थानांतरित करने के बाद कुल जीवित जन्म दर 34 प्रतिशत थी, जो 36 वर्ष की आयु से पहले अपने अण्डों को फ्रीज कराने वाली महिलाओं में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई.
वरिष्ठ लेखक और लंदन महिला क्लिनिक के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर निक मैकलॉन ने कहा, ”ये परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर नियमित आईवीएफ में दर्ज परिणामों के बराबर हैं.”
एग फ्रीजिंग उपचार चाहने वाली महिलाओं की संख्या 2015 में 150 थी जो 2022 में बढ़कर 800 से अधिक हो गई. फिर भी केवल 14 प्रतिशत ही अपने अंडों को पिघलाने के लिए वापस आती हैं. 2,171 रोगियों में से 299 वापस लौटीं, और 332 ने इस चक्र को पूरा किया.
अध्ययन में पता चला कि संचयी जीवित जन्म (कम्युलेटिव लाइव बर्थ रेट) दर 36 प्रतिशत है, जो 35 वर्ष से कम आयु में अण्डों को फ्रीज कराने वालों के लिए बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई है. फ्रीज-ऑल चक्रों में जीवित जन्म दर 30 प्रतिशत थी, जो गुणसूत्रीय जांच (क्रोमोजोमल स्क्रीनिंग) के साथ बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई. 40 वर्ष से ज्यादा आयु की महिलाओं में सभी जीवित जन्म जांचे गए भ्रूणों से हुए थे.
कुछ संशय के बावजूद ये परिणाम दिखाते है कि अंडे को फ्रीज करना और पिघलाना आईवीएफ के समान गर्भधारण का व्यवहार्य मार्ग है.
अध्ययन में कहा गया है कि अंडे को फ्रीज करना और पिघलाना महिलाओं को गर्भधारण करने और जीवित बच्चे को जन्म देने का एक अवसर प्रदान कर सकता है.
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एमकेएस/केआर