चेन्नई. DMK सरकार के तमिलनाडु में चार साल पूरे होते ही राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों की चिंता गहराती जा रही है. आलोचकों का कहना है कि सरकार के दावों के बावजूद, राज्य में राजनीतिक हत्याओं, मादक पदार्थों की तस्करी और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों में खतरनाक इजाफा हुआ है.
राजनीतिक हत्याओं और हिंसा से डगमगाया भरोसा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में हत्या के मामलों में 6.8% और प्रतिशोध की हत्याओं में 42% की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन विपक्ष और कार्यकर्ता इन आंकड़ों को खारिज करते हुए जमीनी सच्चाई को अलग बताते हैं. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जयकुमार धनसिंह की हत्या, BSP के प्रदेश अध्यक्ष आर्मस्ट्रांग की चाकू से हत्या, और 24 घंटे में दो राजनीतिक नेताओं की हत्याओं ने राजनीतिक माहौल को झकझोर दिया है.
अधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर भी हमले
राजनीतिक नेताओं के अलावा, सरकारी अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी हिंसा के शिकार हुए हैं. अवैध रेत खनन की शिकायत के बाद VAO लौर्डुसामी की हत्या, अवैध पत्थर खनन उजागर करने पर सामाजिक कार्यकर्ता बर्टिन रायन पर हमला, और खनिज चोरी का विरोध करने वाले जगबर अली की संदिग्ध दुर्घटना—ये सब प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं.
ड्रग्स तस्करी और युवा वर्ग पर खतरा
DMK शासन में मादक पदार्थों की तस्करी और नशे का दायरा तेजी से बढ़ा है. Enforcement Bureau CID के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में जब्त दवाइयां 39,910 से बढ़कर 2024 में 1.42 लाख हो गईं. सिर्फ जनवरी-फरवरी 2025 में ही 24,215 नशीली गोलियां पकड़ी गईं. अवैध शराब से जुड़ी मौतें भी विधानसभा में बहस का विषय बनी हैं.
महिलाओं और बच्चों पर अपराधों में तेज उछाल
2021 के बाद से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है. 2020 से 2024 के बीच ऐसे मामलों में 33.5% का इजाफा हुआ. 2023-24 में यौन शोषण के मामलों में 16% वृद्धि, POCSO के तहत नाबालिगों के मामले 52% बढ़े, और घरेलू हिंसा की शिकायतें भी 21.2% बढ़ी हैं. वर्ष 2020 में 3,090 POCSO केस दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 4,469 हो गए.
टूटे वादे और “आयरन फिस्ट” पर सवाल
2021 के चुनावी घोषणापत्र में Chief Minister एम.के. स्टालिन ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा का वादा किया था और असामाजिक तत्वों पर “आयरन फिस्ट” से कार्रवाई की बात कही थी. लेकिन हालिया हत्याएं, हमले और प्रशासनिक विफलता से जनता का विश्वास डगमगाया है. विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि आखिर “आयरन फिस्ट” कहां है और किसकी सुरक्षा हो रही है?
आगामी चुनावों में कानून-व्यवस्था का मुद्दा तमिलनाडु की राजनीति में अहम भूमिका निभाएगा.