अमृतसर, 16 जून . श्री अकाल तख्त साहिब का स्थापना दिवस दुनिया भर के सिख समुदाय ने श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया. इस पवित्र दिन पर हजारों श्रद्धालुओं ने अकाल तख्त साहिब में मत्था टेका. विशेष गुरमत समारोह आयोजित किए गए, जिसमें अखंड पाठ साहिब का भोग डाला गया. जत्थेदार अकाल तख्त साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने विश्व भर के सिखों को इस अवसर पर बधाई दी.
जत्थेदार ने बताया कि अकाल तख्त साहिब केवल एक इमारत नहीं, बल्कि सिखों का एक उच्च और पवित्र सिद्धांत है. उन्होंने युवा पीढ़ी से इसकी अवधारणा और इतिहास को समझने की अपील की.
उन्होंने कहा, “जब तक हम सिख सिद्धांतों, परंपराओं और शिष्टाचार को नहीं समझेंगे, हम अपने धर्म को पूरी तरह नहीं जान सकते. अकाल तख्त साहिब के इतिहास पर कई किताबें उपलब्ध हैं, जिन्हें पढ़ना चाहिए.”
अकाल तख्त साहिब के अतिरिक्त हेड ग्रंथी, सिंह साहिब ज्ञानी मलकीत सिंह ने कहा, “सतगुरु सच्चे बादशाह ने हमें अश्लील गीतों और नकारात्मकता से दूर रहने का उपदेश दिया है. सिख, हिंदू, मुस्लिम और सभी समुदायों के युवाओं को ऐसी चीजों से बचना चाहिए.”
ज्ञानी मलकीत सिंह ने सिख समुदाय से एकजुट होकर श्री अकाल तख्त साहिब के संरक्षण में काम करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “एकता से हम धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत होंगे. यह शांतिपूर्ण मार्ग हमें गुरु नानक देव जी के दिखाए रास्ते पर ले जाएगा.”
उन्होंने गुरु खालसा की मिसाल दी, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पीड़ितों को बचाया. इस अवसर पर जत्थेदार ने सिख समुदाय से विश्व भाईचारे और मानवता की सेवा में योगदान देने की अपील की.
उन्होंने कहा, “गुरु नानक का घर सभी के लिए खुला है. सिखों ने हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है और पीड़ितों की रक्षा की है.”
बता दें कि आज (16 जून) श्री अकाल तख्त साहिब का स्थापना दिवस मनाया जाता है. यह सिख धर्म का सर्वोच्च अस्थायी (टेम्पोरल) प्राधिकरण स्थल है, जिसकी स्थापना 1606 को छठे सिख गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में की थी.
इसे मूल रूप से ‘अकाल बुंगा’ के नाम से जाना जाता था. गुरु जी ने इसे न्याय और सिख समुदाय के सांसारिक मामलों के समाधान के लिए बनाया, जो मिरी (राजनीतिक शक्ति) और पीरी (आध्यात्मिक शक्ति) का प्रतीक है.
इसकी नींव गुरु हरगोबिंद जी, भाई गुरदास जी और बाबा बुद्धा जी ने मिलकर रखी थी. यह 12 फीट ऊंचा मंच मुगल सम्राट जहांगीर के आदेशों का उल्लंघन करता था, जो सिखों की संप्रभुता का प्रतीक था. आज भी अकाल तख्त सिखों के लिए न्याय, स्वाभिमान और एकता का केंद्र है.
–
एसएचके/केआर