New Delhi, 22 सितंबर . कोयला मंत्रालय द्वारा Monday को जारी एक बयान के अनुसार, GST 2.0 सुधारों से कोयला क्षेत्र के टैक्स स्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिससे जीवाश्म ईंधन के उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा.
56वीं GST परिषद बैठक के प्रमुख निर्णयों के अनुसार, कोयले पर पहले लगाए गए 400 रुपए प्रति टन क्षतिपूर्ति उपकर को हटा दिया गया है.
इसके अलावा, कोयले पर GST दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
मंत्रालय के अनुसार, कोयला मूल्य निर्धारण और बिजली क्षेत्र पर नए सुधार का प्रभाव कुल टैक्स भार में कमी के रूप में सामने आया है, क्योंकि जी6 से जी17 कोल ग्रेड्स में 13.40 रुपए प्रति टन से लेकर 329.61 रुपए प्रति टन तक की कमी देखी गई है. बिजली क्षेत्र के लिए औसत कमी लगभग 260 प्रति टन है, जो उत्पादन लागत में 17-18 पैसे प्रति किलोवाट घंटा की कमी दर्शाती है.
कोल ग्रेड्स में टैक्स भार को रेशनलाइज करने से न्यायसंगत व्यवहार सुनिश्चित होता है.
मंत्रालय ने उदाहरण देते हुए बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित जी-11 नॉन-कोकिंग कोयले पर कर भार 65.85 प्रतिशत था, जबकि जी2 कोयले पर यह 35.64 प्रतिशत था. उपकर हटाने के साथ अब सभी कैटेगरी पर कर भार एक समान 39.81 प्रतिशत हो गया है.
मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि इन सुधारों के तहत इंवर्टेड ड्यूटी विसंगति भी दूर हो गई है. पहले, कोयले पर 5 प्रतिशत GST लगता था, जबकि कोयला कंपनियों द्वारा उपयोग की जाने वाली इनपुट सेवाओं पर उच्च GST दर 18 प्रतिशत लागू होती थी. इस असमानता के कारण, कोयला कंपनियों की लोअर आउटपुट GST देयता के कारण, उनके खातों में अप्रयुक्त टैक्स क्रेडिट का भारी संचय हो गया.
रिफंड का प्रावधान न होने के कारण यह राशि बढ़ती रही और वैल्यूएबल फंड्स ब्लॉक होते गए. अब, अप्रयुक्त राशि का इस्तेमाल आने वाले वर्षों में GST कर देयता का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, जिससे ब्लॉक्ड लिक्विडिटी मुक्त होगी और कोयला कंपनियों को अप्रयुक्त GST क्रेडिट के संचय के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी और वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी.
मंत्रालय ने कहा कि GST सुधार से India की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने, उत्पादकों को समर्थन देने, उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के साथ कोयला क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.
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