Lucknow, 9 सितंबर . नेपाल में जेन जी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन उग्र रूप ले चुका है. लाखों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
ये विरोध केवल नारों और रैलियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब हिंसा का रूप ले चुका है. संसद भवन, राष्ट्रपति आवास और Prime Minister निवास जैसे महत्वपूर्ण सरकारी ठिकानों पर प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला और उनमें आगजनी कर दी. इस गंभीर हालात को देखते हुए नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, Prime Minister केपी शर्मा ओली और उनकी पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ा.
इस पूरी स्थिति पर नेपाल के पूर्व Prime Minister के.आई. सिंह के पौत्र यशवंत मिश्रा ने से बात की है, जिसमें उन्होंने मौजूदा हालात को एक मिसहैंडल्ड क्राइसिस बताया और सरकार की विफलताओं की ओर इशारा किया. यशवंत मिश्रा के अनुसार नेपाल में लम्बे समय से भ्रष्टाचार चरम पर था. सरकारें लगातार बदल रही थीं, लेकिन आम जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई थीं. देश की बड़ी आबादी युवा है, जिन्हें जेन जी कहा जाता है.
उन्होंने बताया कि नेपाल की कुल जनसंख्या लगभग 3.2 करोड़ है, जिसमें से करीब 40 लाख लोग विदेशों में नौकरी करते हैं. ये लोग अपने परिवार से संपर्क में रहने के लिए social media जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम का उपयोग करते हैं. लेकिन जब सरकार ने इन सभी प्लेटफॉर्म्स पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया, तो यह फैसला आम जनता के लिए किसी झटके से कम नहीं था.
यशवंत मिश्रा का कहना है कि अब social media लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है. अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के जब सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया तो स्वाभाविक रूप से लोगों में गुस्सा भड़क उठा. उनका मानना है कि सरकार को ऐसे फैसले लेने से पहले सोच-समझकर और चरणबद्ध तरीके से काम करना चाहिए.
यशवंत मिश्रा का कहना है कि यह विरोध तब और उग्र हो गया जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग शुरू कर दी. रबर बुलेट्स या कम घातक उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने जानलेवा हथियारों का प्रयोग किया. एक स्कूली बच्चे की संसद भवन के बाहर गोली लगने से मौत हो गई, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं होनी चाहिए.
यशवंत मिश्रा के अनुसार यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ था, लेकिन सरकार की गलत प्रतिक्रिया ने इसे हिंसक बना दिया. उन्होंने कहा कि Prime Minister चुपचाप अपनी सीट पर बैठे रहे, लेकिन जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तो उन्हें हेलीकॉप्टर से भागना पड़ा. स्थिति इतनी भयावह हो गई कि सरकार को पुलिस और सेना तैनात करनी पड़ी. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को आग के हवाले कर दिया. यशवंत ने स्पष्ट किया कि हिंसा किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराई जा सकती, लेकिन जब लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचता, तो वे आक्रोशित होकर ऐसे कदम उठाते हैं.
उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा स्थिति को सुधारने के लिए नेपाल में एक अंतरिम केयरटेकर सरकार का गठन किया जाना चाहिए और 2026 में आम चुनाव कराए जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि नई सरकार को स्थिरता प्रदान करने के लिए उसमें राइट टू रिकॉल जैसे प्रावधान भी होने चाहिए.
यशवंत मिश्रा ने यह भी कहा कि अब नेपाल वह देश नहीं रहा जो 25 साल पहले था. अब वहां भारी मात्रा में विदेशी निवेश आ रहा है. 200 से ज्यादा बैंक रजिस्टर हैं, अमेरिका और भारत की आईटी कंपनियां वहां व्यापार कर रही हैं, और मल्टीनेशनल कंपनियों के एसेंबली प्लांट्स लग चुके हैं. वहीं केवल पिछले महीने ही 88,000 से अधिक विदेशी पर्यटक नेपाल आए हैं. इतने अवसर होने के बावजूद लोग विदेश जाने को मजबूर क्यों हैं?
उनका कहना है कि सरकार की अच्छी नीतियां भी जनता तक नहीं पहुंच पा रही थीं, क्योंकि बीच में ही घोटालेबाज़ सब कुछ खा जा रहे थे. उन्होंने कहा कि नेपाल में जेन जी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन सिर्फ एक social media बैन के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह बरसों से चली आ रही भ्रष्ट और अक्षम शासन व्यवस्था के खिलाफ था.
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प्रतीक्षा/डीएससी