New Delhi, 26 अगस्त . देश के पूर्व न्यायाधीशों के एक समूह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा की गई टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक बयानों से न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुंच रहा है.
56 रिटायर्ड जजों ने बयान जारी करते हुए कहा कि कुछ पूर्व न्यायाधीशों द्वारा बार-बार राजनीतिक बयान देना और न्यायिक स्वतंत्रता के नाम पर पक्षपातपूर्ण रुख अपनाना न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता को नुकसान पहुंचा रहा है.
देश के पूर्व न्यायाधीशों के एक समूह का यह बयान तब आया है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुदर्शन रेड्डी का जिक्र करते हुए सलवा जुडूम फैसले को लेकर टिप्पणी की थी. इसके बाद कुछ पूर्व जजों ने सुदर्शन रेड्डी पर टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.
इसके जवाब में देश के 56 पूर्व न्यायाधीशों ने एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि राजनीति में उतरने वाले पूर्व न्यायाधीश को अन्य उम्मीदवारों की तरह ही राजनीतिक बहस में अपनी स्थिति का बचाव करना चाहिए. उनका मानना है कि ऐसे मामलों में न्यायिक स्वतंत्रता का हवाला देकर लोकतांत्रिक चर्चा को दबाना अनुचित है.
बयान में कहा गया है कि एक पूर्व न्यायाधीश ने स्वेच्छा से भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया है और विपक्ष के समर्थन से उम्मीदवार बने हैं. उन्हें अपनी उम्मीदवारी को अन्य उम्मीदवारों की तरह राजनीतिक बहस में बचाव करना चाहिए. इसे न्यायिक स्वतंत्रता का मुद्दा बनाना लोकतांत्रिक चर्चा को दबाने और राजनीतिक सुविधा के लिए न्यायपालिका का दुरुपयोग करने जैसा है. न्यायिक स्वतंत्रता किसी राजनीतिक उम्मीदवार की आलोचना से खतरे में नहीं पड़ती. असल में, जब पूर्व न्यायाधीश बार-बार पक्षपातपूर्ण बयान देते हैं, तो इससे यह धारणा बनती है कि न्यायपालिका राजनीतिक लड़ाइयों से जुड़ी है. इससे पूरी न्यायिक बिरादरी को पक्षपातपूर्ण माना जाने लगता है, जो न तो उचित है और न ही भारत की न्यायपालिका और लोकतंत्र के लिए स्वस्थ.
उन्होंने कहा, “इस तरह के पक्षपातपूर्ण बयान देने से पूरी न्यायपालिका को राजनीतिक गुट के रूप में देखे जाने का खतरा है, जो भारत के लोकतंत्र और न्यायिक संस्थान के लिए हानिकारक है.”
पूर्व न्यायाधीशों ने अपने सहयोगी न्यायाधीशों से अपील की है कि वे राजनीति से प्रेरित बयानों से दूर रहें और न्यायपालिका को राजनीतिक उलझनों से अलग रखें. उन्होंने कहा, “हम अपने पूर्व न्यायाधीश भाइयों से आग्रह करते हैं कि वे राजनीतिक रूप से प्रेरित बयानों से दूर रहें. जो लोग राजनीति में उतरे हैं, उन्हें उसी क्षेत्र में अपनी बात रखनी चाहिए. न्यायपालिका को ऐसे विवादों से अलग और ऊपर रखा जाना चाहिए.”
इस बयान पर देश के 56 पूर्व न्यायाधीशों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम, रंजन गोगोई और अन्य Supreme court तथा हाई कोर्ट के कई पूर्व न्यायाधीश शामिल हैं.
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