New Delhi, 8 सितंबर 2025 . उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक दिन पहले विपक्षी ‘इंडिया’ ब्लॉक के उम्मीदवार और Supreme court के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. इसी बीच विभिन्न उच्च न्यायालयों के आठ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने Monday को खुला पत्र लिखकर इस मुलाकात पर आपत्ति जताई है.
पत्र में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने लिखा, “यह जानकर निराशा होती है कि इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने हाल ही में लालू प्रसाद यादव के साथ एक निजी बैठक की. लालू यादव चारा घोटाला मामले में दोषी हैं, जिसमें बिहार राज्य से लगभग 940 करोड़ रुपए के सरकारी धन का गबन शामिल है. इस परामर्श को चुनावी कारणों का हवाला देकर उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यादव न तो संसद सदस्य हैं और न ही वे उपराष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में मतदान करने के पात्र हैं, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि इस बैठक का कोई वैध राजनीतिक उद्देश्य नहीं है.”
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने लिखा, “रेड्डी जैसे कद के व्यक्ति, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं और जिनकी महत्वाकांक्षा देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक पर आसीन होने की है, के लिए इस तरह की संदिग्ध प्रकृति की नियुक्ति उनके निर्णय और औचित्य पर गंभीर प्रश्न उठाती है. यह विशेष रूप से चिंताजनक है कि अपनी विशिष्ट न्यायिक पृष्ठभूमि के बावजूद, रेड्डी स्वतंत्र रूप से एक ऐसे व्यक्ति से जुड़े हैं जिसके आपराधिक कृत्यों की पुष्टि भारतीय न्यायालयों द्वारा की जा चुकी है. समान रूप से चौंकाने वाली बात कुछ गुटों की चुप्पी है, जो आमतौर पर मामूली आरोपों पर भी भड़क उठते हैं.”
उन्होंने आगे लिखा, “यह घटना उन लोगों के पक्षपातपूर्ण स्वभाव की पुष्टि करती है जो खुद को संवैधानिक नैतिकता का स्वयंभू संरक्षक बताते हैं. यह स्वार्थ और राजनीतिक सुविधा के लिए गंभीर चूकों को नजरअंदाज करने की उनकी तत्परता को दर्शाता है. इस स्पष्ट चुप्पी के बावजूद, रेड्डी का उन दोषी व्यक्तियों के साथ जुड़ने का निर्णय, जिन्होंने भ्रष्टाचार के माध्यम से राष्ट्रीय हितों को स्पष्ट रूप से नुकसान पहुंचाया है, उनके इरादों और निष्ठाओं के बारे में बहुत कुछ कहता है. एक प्रभावशाली और प्रतिष्ठित संवैधानिक पद पर आसीन होने की चाह रखने वाले व्यक्ति द्वारा की गई यह चूक, निर्णय में एक बुनियादी त्रुटि का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका जनता को पूरी तरह से मूल्यांकन करना आवश्यक है.”
बता दें कि पत्र लिखने वालों में 8 पूर्व उच्च न्यायालय न्यायाधीश शामिल हैं, जिसमें न्यायमूर्ति एस.एम. खांडेपारकर, जो पूर्व बॉम्बे उच्च न्यायालय न्यायाधीश रहे हैं, तथा न्यायमूर्ति अंबादास जोशी, जो पूर्व बॉम्बे उच्च न्यायालय न्यायाधीश थे, प्रमुख रूप से सम्मिलित थे. इसके अलावा, न्यायमूर्ति आर के मार्थिया, जो झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार आहूजा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति करम चंद पुरी, पंजाब एवं Haryana उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, तथा न्यायमूर्ति पी एन रवींद्रन, केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी थे. अंत में, न्यायमूर्ति आर एस राठौर, जो राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, इस सूची का हिस्सा थे. ये सभी वरिष्ठ न्यायिक हस्तियां पत्र के समर्थन में जुड़ीं.
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एससीएच/डीकेपी