नई दिल्ली, 8 जनवरी . पूर्व इंग्लैंड कप्तान माइकल आथर्टन ने टेस्ट क्रिकेट में दो-स्तरीय प्रणाली पर अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि किसी भी नई संरचना में निचले स्तर की टीमों के लिए ऊपरी स्तर पर आने का मौका होना चाहिए और इसे “विशेष वर्ग” तक सीमित नहीं रखना चाहिए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के प्रमुख रिचर्ड थॉम्पसन और बीसीसीआई के प्रतिनिधि इस महीने के अंत में आईसीसी के चेयरमैन जय शाह से मुलाकात करेंगे. इस बैठक में 2027 से शुरू होने वाली दो-स्तरीय टेस्ट प्रणाली पर चर्चा की जाएगी.
अगर यह प्रणाली लागू होती है, तो ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत को अन्य कई देशों के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने से छूट मिल सकती है. इसके बजाय, ये तीनों टीमें हर तीन साल में दो बार आपस में खेल सकेंगी, जबकि अभी ये चार साल में एक बार ऐसा करती हैं.
आथर्टन ने स्काई स्पोर्ट्स क्रिकेट पॉडकास्ट पर कहा, “टियर्स और डिवीजन में अंतर है. डिवीजन का मतलब है प्रमोशन और रेलिगेशन का मौका. मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर निचली टीमें ऊपर आने का मौका नहीं पा सकतीं और यह प्रणाली केवल एक विशेष वर्ग के लिए हो जाती है, तो मैं इसके खिलाफ हूं.”
गौरतलब है कि दो-स्तरीय टेस्ट प्रणाली का विचार 2016 में आईसीसी की बैठक में आया था. उस समय प्रस्ताव था कि पहली डिवीजन में 7 टीमें और दूसरी डिवीजन में 5 टीमें खेलेंगी.
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट हमेशा 6 या 7 देशों के बीच का प्रारूप रहेगा. उन्होंने कहा, “टेस्ट क्रिकेट 8, 9, 10 या 12 टीमों तक नहीं बढ़ेगा, जैसा टी20 कर सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि टेस्ट क्रिकेट के लिए द्विपक्षीय कार्यक्रम बनाए जाएं.”
स्मिथ ने आगे कहा, “अगर 6-7 टीमें मजबूत रहेंगी, तो लोग हमेशा टेस्ट क्रिकेट देखेंगे. जब दक्षिण अफ्रीका में कोई अच्छी टीम आती है, तो हमें अच्छे दर्शक और दिलचस्पी देखने को मिलती है. विश्व क्रिकेट को दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और श्रीलंका जैसे देशों को मजबूत बनाने की जरूरत है.”
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