सोल, 16 जून . दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने जमानत देने के अदालत के फैसले को रद्द करने के लिए अपील दायर की. उन्हें 3 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने में उनकी कथित भूमिका को लेकर विद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया है.
सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने किम की ओर से आपत्ति के बावजूद किम की जमानत के लिए अभियोजन पक्ष के अनुरोध को स्वीकार कर लिया, जबकि किम की हिरासत अवधि समाप्त होने में केवल 10 दिन शेष रह गए थे.
किम को 27 दिसंबर को दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सूक योल को मार्शल लॉ की सिफारिश करने और डिक्री का मसौदा तैयार करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. उन पर मार्शल लॉ के दौरान नेशनल असेंबली में विभिन्न इकाइयों से सैनिकों को तैनात करने का आरोप है, ताकि सांसदों को यून के मार्शल लॉ की घोषणा को खारिज करने के लिए मतदान करने से रोका जा सके.
किम की कानूनी टीम ने अपील दायर की और अदालत के फैसले को निलंबित करने के लिए स्थगन आदेश का अनुरोध किया. उनका तर्क था कि इस कदम से उनके मुवक्किल की हिरासत प्रभावी रूप से बढ़ जाएगी, जिसे जल्द ही रिहा किया जाना था.
टीम ने कहा, “यह रिहा करने का फैसला नहीं है, बल्कि किम की हिरासत की स्थिति को अवैध रूप से बढ़ाने का एक तरीका मात्र है. यह एक असंवैधानिक उपाय है जो प्रतिवादी के मूल अधिकारों को प्रतिबंधित करता है और उसकी कार्य करने की स्वतंत्रता को अनुचित रूप से सीमित करता है.”
योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, अदालत ने जमानत की राशि 100 मिलियन वॉन (73,400 डॉलर) निर्धारित की है तथा अन्य शर्तों के साथ-साथ, उन पर यून तथा मार्शल लॉ मामले से संबंधित अन्य लोगों से मिलने या बातचीत करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
आम तौर पर जमानत के लिए प्रतिवादी द्वारा अनुरोध किया जाता है. लेकिन इस मामले में जमानत का अनुरोध अभियोजन पक्ष द्वारा किया गया था.
किम की छह महीने की वैधानिक हिरासत अवधि 26 जून को समाप्त होने वाली थी, जिसका मतलब है कि उसे बिना किसी प्रतिबंध के केवल 10 दिन बाद रिहा किया जाना था.
किम की जमानत पर आपत्ति को अदालत ने खारिज कर दिया, जो स्पष्ट रूप से चल रहे मार्शल लॉ से संबंधित मुकदमों के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी अप्रत्याशित बदलाव को रोकना चाहती है
किम ने अपनी गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद जमानत के लिए अर्जी दी थी, लेकिन सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उस समय अनुरोध स्वीकार नहीं किया था. उन्होंने तब उस फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसे सोल हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया था.
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डीकेएम/एएस