विदेशी रिपोर्ट का उद्देश्य भारत की छवि खराब करना : भाजपा

नई दिल्ली, 5 दिसंबर . संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दा उठाया. उन्होंने आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) द्वारा जारी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी संसद का सत्र चलता है, उसी दौरान विदेश से ऐसी रिपोर्ट्स सामने आती हैं, जिनका उद्देश्य भारत की छवि को खराब करना होता है.

राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान त्रिवेदी ने कहा कि जब से भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उभरती हुई सामाजिक, आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति के रूप में उभरा है, तब से विदेश की कई गतिविधियां भारत की व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, और समाज के लिए खतरे का कारण बन रही हैं. उन्होंने ओसीसीआरपी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को विदेशी सरकारों की फंडिंग मिल रही है और इसमें जॉर्ज सोरोस का भी हाथ है, जो भारत के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करने का प्रयास कर रहे हैं.

सुधांशु त्रिवेदी ने संसद में उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में जब भी भारत का संसद सत्र चल रहा होता है, तब विदेश से भारत के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं. उन्होंने कहा कि 2021 में ‘पेगासस रिपोर्ट’, 2023 में ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट’ और ‘बीबीसी डॉक्युमेंट्री’ जैसे घटनाक्रम संसद सत्र के दौरान सामने आए थे. उन्होंने दावा किया कि यह केवल एक संयोग नहीं हो सकता, बल्कि इसका उद्देश्य भारत की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को अस्थिर करना है.

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विदेशी ताकतें भारत को झुकाने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ रहा है और इन प्रयासों का कोई असर नहीं होने वाला है. उन्होंने विपक्ष से भी सवाल किया कि क्या वे जान-बूझकर इस तरह की रिपोर्ट्स का समर्थन कर रहे हैं या फिर अनजाने में इनका हिस्सा बन रहे हैं.

इस मुद्दे पर लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य सरकार को अस्थिर करना है और इसके लिए वे विदेशी रिपोर्ट्स का सहारा ले रहे हैं. ओसीसीआरपी और जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि यह संगठन भारत की संसद को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब भी कोई विदेशी रिपोर्ट सामने आती है, तो कांग्रेस पार्टी और विपक्षी नेता तुरंत उसका समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा कि ये लोग घृणा के शिकार हैं और प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ विदेशी समर्थन से उसे अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका मुख्य उद्देश्य भारत की संसद को बंधक बनाना है और भारत के विकास को रोकना है.

निशिकांत दुबे ने जॉर्ज सोरोस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने 1991 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को संकट में डाल दिया था और इससे उन्हें 6 बिलियन डॉलर का फायदा हुआ था. अब सोरोस भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब भी ओसीसीआरपी कोई रिपोर्ट जारी करता है, कांग्रेस पार्टी उसे तुरंत सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है, जैसे कि पेगासस मामले में हुआ था.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजीव रंजन और संजय राऊत जब इस तरह की रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हैं, तो पूरी संसद अस्थिर हो जाती है. इसी तरह हिडनबर्ग रिपोर्ट और कोविड वैक्सीनेशन पर भी विपक्ष ने लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के सलीम शेट्टी, जो भारत जोड़ो आंदोलन में शामिल हुए थे, का कांग्रेस से कोई संबंध है?

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