New Delhi, 25 सितंबर . जी4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, India और जापान) के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र से इतर एक बैठक की. इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के अलावा ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा, जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वेडफुल और जापान के विदेश मंत्री इवाया ताकेशी बैठक में शामिल थे.
जी4 देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान में कहा कि वैश्विक व्यवस्था में बढ़ती अस्थिरता और संयुक्त राष्ट्र की घटती प्रभावशीलता के बीच सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार जरूरी है.
उनका कहना था कि वर्तमान भू-Political वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए परिषद का विस्तार स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में होना चाहिए, ताकि इसकी प्रतिनिधित्व, वैधता, प्रभावशीलता और दक्षता बढ़ाई जा सके. मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि अधिकांश सदस्य देश इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं.
उन्होंने सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देशों की भूमिका और भागीदारी बढ़ाने की जरूरतों पर सहमति व्यक्त की.
इस संबंध में जी4 देशों के विदेश मंत्रियों ने दोनों सदस्यता श्रेणियों में अफ्रीका, एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों और समूहों के प्रतिनिधित्व में सुधार के महत्व पर जोर दिया.
जी4 देशों ने ‘एजुलविनी सहमति और सिर्ते घोषणा’ में निहित कॉमन अफ्रीकन पोजिशन (सीएपी) के प्रति अपने मजबूत समर्थन की पुष्टि की.
सीएपी वैश्विक मुद्दों पर ध्यान देने, अफ्रीका की प्राथमिकताओं की वकालत करने और अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं को प्रभावित करने के लिए अफ्रीकी संघ (एयू) का एकीकृत रणनीतिक ढांचा है.
एजुलविनी सहमति के नाम से जानी जाने वाली यह स्थिति संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता से अफ्रीका के बहिष्कार को उजागर करती है और सुरक्षा परिषद में अफ्रीका के लिए कम से कम दो स्थायी सीटों की वकालत करती है.
विदेश मंत्रियों ने कहा कि सुरक्षा परिषद का व्यापक सुधार सभी के हित में है. लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्ध जी4 देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार और सक्षम हैं.
79वें सत्र के कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने अंतर-Governmentी वार्ता (आईजीएन) प्रारूप में सुरक्षा परिषद सुधार पर ठोस प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त की.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर जी4 देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि वे संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान होने वाली चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेंगे.
इसके अलावा, जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों ने दोहराया कि सुरक्षा परिषद सुधार पर चर्चा को आईजीएन तक सीमित रखने की जरूरत नहीं है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत अन्य मंचों पर इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सदस्यों के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की.
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डीसीएच/वीसी