पटना, 30 जून . बिहार कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश राठौड़ ने कहा कि कम से कम जिसके लिए कानून बने, उसकी संतुष्टि जरूरी है. आज जब किसानों के लिए कानून बनता है, तो किसान नाराज हो जाते हैं और जब वक्फ कानून बनता है, तो मुस्लिम नाराज हो जाते हैं.
उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव के सरकार बनने के बाद वक्फ कानून को कूड़ेदान में फेंकने वाले बयान पर कहा कि कभी भी कोई कानून बनता है, तो जिसके लिए बनता है, उसकी संतुष्टि आवश्यक है, चाहे जो कानून बने. वक्फ एक शब्द है, जो दान की संपत्ति उस समाज के विकास के लिए दी गई है. सवाल यह है कि उस संपत्ति पर अधिकार किसका है. उसको दूसरे तरीके से लिया जा रहा है. सरकार जिस संस्था और बिरादरी के लिए कानून बनाती है, वही उससे नाराज हो जाते हैं. अंत में जो राहुल गांधी कहते हैं या जो विपक्ष कहती है, उस पर कायम रहने का प्रयास करते हैं.
उन्होंने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकार को सोच-समझकर कानून बनाना चाहिए, तुगलकी फरमान कभी जारी नहीं करना चाहिए. भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी को बिहार आने का निमंत्रण देते हुए उन्होंने कहा कि वे यहां आकर देखें कि डबल इंजन की सरकार ने बिहार में कितना ‘ट्रबल’ पैदा कर दिया है. बिहार में पलायन, बेरोजगारी और अपराध बढ़ गए हैं. रोजगार, उद्योग और निवेश खत्म हो गए हैं. इस पर सुधांशु त्रिवेदी नहीं बोलते हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता को बताना चाहिए कि बिहार में 11 साल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने कितने उद्योग लगाए. नीतीश और भाजपा की सरकार ने 20 साल में कोई भी उद्योग लगाया क्या? ये लोग केवल धार्मिक उन्माद फैलाना चाहते हैं.
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के महागठबंधन में आने की इच्छा जताने पर राठौड़ ने कहा कि फिलहाल ओवैसी पीएम मोदी और भाजपा के साथी हैं. पहले वे इनसे दोस्ती खत्म होने का प्रमाण पत्र तो भारत के लोगों को दें. ओवैसी अब तक वही काम करते आए हैं जो भाजपा उनसे कहती है. ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों का एक ही उद्देश्य है समाज को तोड़ो और राजनीति करो.
उन्होंने कहा कि पिछली बार ओवैसी की पार्टी ने हरकत नहीं की होती, तो आज बिहार में ‘सेकुलर गवर्नमेंट’ होती. ओवैसी भाजपा और आरएसएस को बढ़ावा देने के लिए राजनीति करते हैं.
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एमएनपी/एबीएम/पीएसके