देश में पहली बार झारखंड सरकार लांच करेगी माइनिंग टूरिज्म परियोजना, सोमवार को होगा एमओयू

रांची, 20 जुलाई . Jharkhand अपनी खनिज संपदा और खनन क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. Jharkhand पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के सहयोग से देश में पहली बार माइनिंग टूरिज्म की शुरुआत की जा रही है.

इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए 21 जुलाई को रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. कार्यक्रम में Jharkhand Government के मंत्री सुदिव्य कुमार और दोनों संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे. Jharkhand लंबे समय से कोयला, लौह अयस्क और अन्य खनिजों की खदानों के लिए प्रसिद्ध रहा है. अब Government की योजना है कि इन खदानों की विरासत और खनन की प्रक्रिया को पर्यटन के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाया जाए, ताकि राज्य में थीम आधारित और सतत पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

इस माइनिंग टूरिज्म परियोजना के तहत पर्यटकों को कोयला खदानों, खनन से जुड़ी प्रक्रियाओं, उपकरणों और खनन से जुड़ी ऐतिहासिक विशेषताओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मौका मिलेगा.

इस दौरान पर्यटक खनन क्षेत्रों में जाकर वहां के भूगोल, खनन की तकनीकों और उसके ऐतिहासिक पहलुओं को भी देख और समझ सकेंगे. परियोजना के तहत तीन सर्किट बनाए जा रहे हैं, जिनमें पर्यटकों को रांची से ले जाकर खनन क्षेत्रों और आस-पास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कराकर वापस रांची लाया जाएगा. इन सर्किट में पिपरवार का कायाकल्प वाटिका, रे अंडरग्राउंड माइंस, तिरू फॉल, नॉर्थ उरीमारी माइंस, पलानी फॉल्स, पतरातू वाटर पार्क, सिकिदिरी घाटी, रजरप्पा मंदिर, भुरकुंडा माइंस, पतरातू डैम और पतरातू घाटी जैसे स्थल शामिल होंगे.

पर्यटकों को दिए जाने वाले पैकेज में नाश्ते से लेकर लंच तक की व्यवस्था की जाएगी. Jharkhand Government का मानना है कि माइनिंग टूरिज्म की यह पहल राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगी और राज्य के पर्यटन राजस्व में भी इजाफा होगा. इसके साथ ही लोग Jharkhand की खनन संस्कृति और विरासत से सीधे जुड़ सकेंगे.

एसएनसी/एएस