मुंबई, 2 मई . दो दशकों से अधिक समय में पहली बार, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर लिस्टेड कंपनियों में स्वामित्व को लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को पीछे छोड़ दिया है. यह जानकारी शुक्रवार को आई एक नई रिपोर्ट में दी गई.
यह बदलाव इक्विटी बाजारों में भारतीय निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है, क्योंकि अधिक से अधिक लोग फिक्स्ड डिपॉजिट और रियल एस्टेट जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों से दूर जा रहे हैं.
प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम के संकलित आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही में एनएसई में लिस्टेड कंपनियों में डीआईआई की हिस्सेदारी 17.62 प्रतिशत थी, जो 0.73 प्रतिशत अंकों की वृद्धि है.
इस बीच, एफपीआई की हिस्सेदारी 0.02 प्रतिशत अंकों की मामूली गिरावट के साथ 17.22 प्रतिशत रह गई.
दस साल पहले, एफपीआई के पास 20.71 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो उस समय डीआईआई, खुदरा निवेशकों और हाई नेट-वर्थ वाले व्यक्तियों की संयुक्त हिस्सेदारी से भी अधिक थी.
पिछले पांच वर्षों में, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड जैसे घरेलू संस्थान शेयर बाजार में भारी निवेश कर रहे हैं.
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी ए बालासुब्रमण्यम ने कहा, “अब अधिक व्यक्ति म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन सिस्टम, बीमा और प्रत्यक्ष इक्विटी का विकल्प चुन रहे हैं. इससे डीआईआई की इक्विटी में स्वामित्व को लेकर वृद्धि हुई है.”
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने इसे भारतीय पूंजी बाजारों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया.
उन्होंने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से खुदरा निवेशकों से लगातार आने वाले निवेश को एक प्रमुख कारक बताया.
निवेश पैटर्न में इस बदलाव ने इक्विटी बाजार में डीआईआई की हिस्सेदारी को काफी हद तक बढ़ा दिया है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी.
इस बीच, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत प्रदर्शन किया.
बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों में तेजी के कारण इस महीने सेंसेक्स में 3.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निफ्टी में 3.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
बैंकिंग शेयरों ने बढ़त हासिल की, अप्रैल में निफ्टी बैंक इंडेक्स में 6.83 प्रतिशत का उछाल दर्ज हुआ.
ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विस, एफएमसीजी और रियल एस्टेट जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी अच्छी तेजी देखी गई, जिनमें से प्रत्येक ने 4 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया.
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